fundamental-analysis By Neelam

बाजार के दौर: Bull और Bear Market को समझकर कैसे करें निवेश?

शेयर बाजार में Bull और Bear Market के दौर आते-जाते रहते हैं। यह लेख भारत के ऐतिहासिक बाजार चक्रों, प्रमुख तेजी और मंदी के दौर और निवेशकों के लिए सही रणनीतियों पर प्रकाश डालता है।

बाजार के दौर: Bull और Bear Market को समझकर कैसे करें निवेश?

शेयर बाजार की दुनिया सेंटिमेंट्स और इकोनॉमिक साइकिल पर चलती है। कभी यह रॉकेट की तरह ऊपर जाता है, तो कभी चट्टान से नीचे गिरता है। इन उतार-चढ़ावों को ही Bull (तेजी) और Bear (मंदी) Market के दौर के रूप में जाना जाता है। एक निवेशक के रूप में, इन साइकिल को समझना न केवल दिलचस्प है, बल्कि आपके फाइनेंसियल भविष्य के लिए भी बहुत ज़रूरी है।

मुख्य बातें (Key Takeaways)

  • Bull Market में इकोनॉमी मज़बूत होती है, और stock की कीमतें लंबे समय तक बढ़ती हैं।
  • Bear Market तब होता है जब बाजार में 20% या उससे अधिक की गिरावट आती है, जो अक्सर आर्थिक मंदी का संकेत होता है।
  • भारत ने 2008 और 2020 में बड़ी मंदी देखी है, लेकिन हर बार बाजार ने शानदार वापसी की है।
  • बाजार के साइकिल में घबराने के बजाय, लंबी अवधि के लिए निवेशित रहना और फंडामेंटली मज़बूत कंपनियों पर फोकस करना सबसे अच्छी स्ट्रैटेजी है।

Bull और Bear Market क्या होते हैं?

इसे आसान शब्दों में समझते हैं। कल्पना कीजिए कि बाजार एक जानवर है।

  • Bull (सांड): एक सांड हमेशा अपने सींगों से ऊपर की ओर हमला करता है। इसी तरह, जब बाजार ऊपर की ओर जा रहा होता है, निवेशकों में आत्मविश्वास होता है, और इकोनॉमी अच्छा प्रदर्शन कर रही होती है, तो उसे Bull Market कहते हैं।
  • Bear (भालू): एक भालू हमेशा अपने पंजों से नीचे की ओर हमला करता है। जब बाजार लंबे समय तक नीचे गिर रहा होता है, निवेशकों में डर और निराशा का माहौल होता है, और आर्थिक गतिविधियां धीमी हो जाती हैं, तो उसे Bear Market कहते हैं।

आमतौर पर, बाजार को Bear Market तब माना जाता है जब वह अपने हाल के हाई लेवल से 20% या उससे अधिक गिर जाता है।

Bull vs Bear Market की विशेषताओं को दर्शाने वाला एक चित्र।

भारत के कुछ ऐतिहासिक Bull Market (तेज़ी के दौर)

भारतीय बाजार ने कई शानदार तेज़ी के दौर देखे हैं। यहाँ कुछ प्रमुख उदाहरण हैं:

  1. 2003-2008 का ज़बरदस्त Boom: यह भारतीय बाजार के लिए एक सुनहरा दौर था। आर्थिक सुधारों, ग्लोबल कैपिटल फ्लो और मज़बूत कॉर्पोरेट नतीजों के कारण, Sensex ने असाधारण बढ़ोतरी देखी। 2003 में लगभग 3,000 अंकों के स्तर से, यह जनवरी 2008 में 21,000 के शिखर तक पहुंच गया। इस अवधि ने कई निवेशकों को मल्टीबैगर रिटर्न दिया।

  2. 2014-2018 की रैली: 2014 में एक स्थिर सरकार बनने के बाद निवेशकों का भरोसा बढ़ा। सुधारों की उम्मीद, घटती महंगाई और घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) के बढ़ते निवेश ने इस रैली को ताकत दी। इस दौरान GST और दिवाला और दिवालियापन संहिता (IBC) जैसे बड़े सुधारों ने बाजार को एक नई दिशा दी।

  3. Post-COVID 2020 की रिकवरी: मार्च 2020 में COVID-19 के कारण आई भारी गिरावट के बाद बाजार ने एक अविश्वसनीय V-शेप रिकवरी की। मार्च 2020 में Sensex लगभग 25,981 के निचले स्तर तक गिर गया था। लेकिन सरकारी प्रोत्साहन पैकेज, RBI द्वारा लिक्विडिटी उपायों और नए retail निवेशकों की भारी भागीदारी के कारण, बाजार ने तेज़ी से वापसी की। मार्च 2020 के निचले स्तर से, Sensex अगले 18 महीनों में दोगुने से भी ज़्यादा हो गया और 2021 में 60,000 का आंकड़ा पार कर लिया।

भारत के प्रमुख Bear Market (मंदी के दौर)

जिस तरह तेज़ी है, उसी तरह मंदी भी बाजार का एक ज़रूरी हिस्सा है।

  1. 2008 का वैश्विक वित्तीय संकट: यह संकट अमेरिका में सबप्राइम मॉर्गेज संकट से शुरू हुआ और पूरी दुनिया में फैल गया। भारतीय बाजार भी इससे अछूता नहीं रहा। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने भारी बिकवाली की। जनवरी 2008 में 21,000 के शिखर से, Sensex 60% से अधिक गिरकर अक्टूबर 2008 तक 8,000 के स्तर से नीचे आ गया। यह भारतीय निवेशकों के लिए एक बहुत बड़ा सबक था।

  2. मार्च 2020 की COVID-19 गिरावट: यह इतिहास की सबसे तेज़ गिरावटों में से एक थी। COVID-19 महामारी और देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा के कारण, बाजार में भारी दहशत फैल गई। केवल एक महीने में, Sensex लगभग 40% तक गिर गया। 23 मार्च, 2020 को, Sensex ने एक ही दिन में 3,935 अंकों की अपनी सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की।

Sensex के 2008 और 2020 के क्रैश को दर्शाने वाला एक ग्राफ।

बाजार के साइकिल से कैसे निपटें?

बाजार में गिरावट को टाला नहीं जा सकता। सफल निवेशक वह है जो इन साइकिल में घबराता नहीं है, बल्कि समझदारी से काम लेता है।

  • घबराकर न बेचें (Don’t Panic Sell): Bear Market में सबसे बड़ी गलती डरकर अपने अच्छे निवेश को कम कीमत पर बेचना है। याद रखें, बाजार ऐतिहासिक रूप से हमेशा रिकवर हुआ है।
  • लंबी अवधि का नजरिया रखें: शॉर्ट-टर्म उतार-चढ़ाव से परेशान न हों। यदि आपने अच्छी, फंडामेंटली मज़बूत कंपनियों में निवेश किया है, तो उन्हें समय दें।
  • SIP जारी रखें: Systematic Investment Plans (SIPs) के माध्यम से निवेश जारी रखना एक बेहतरीन स्ट्रैटेजी है। जब बाजार गिरता है, तो आप उसी राशि में अधिक यूनिट्स खरीदते हैं, जिससे आपकी औसत लागत कम हो जाती है (Rupee Cost Averaging)।
  • फंडामेंटल्स पर ध्यान दें: ऐसी कंपनियों में निवेश करें जिनका मैनेजमेंट मज़बूत हो, कर्ज कम हो और जिनका बिज़नेस मॉडल टिकाऊ हो। ऐसी कंपनियाँ मंदी का सामना बेहतर ढंग से करती हैं।
  • डायवर्सिफिकेशन (Diversification): अपना सारा पैसा एक ही stock या सेक्टर में न लगाएं। अपने पोर्टफोलियो को अलग-अलग एसेट क्लास जैसे इक्विटी, सोना और बॉन्ड में बांटें।

बाजार के ये साइकिल निवेशकों के धैर्य की परीक्षा लेते हैं, लेकिन वे दौलत बनाने के अवसर भी देते हैं। मंदी का दौर अच्छी कंपनियों के शेयरों को डिस्काउंट पर खरीदने का एक शानदार मौका हो सकता है।

यह लेख केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है और इसे निवेश की सलाह नहीं माना जाना चाहिए। निवेश से पहले अपनी खुद की रिसर्च ज़रूर करें।

Test Your Knowledge

Upstox Logo

Demat Account खोलें

अपना investment सफर शुरू करें – Upstox के साथ Low Brokerage और आसान trading।

₹0 AMC
₹20 Brokerage
Fast Account Opening
Advanced Charting

आज ही Account खोलें

Account खोलें

Disclaimer: मैं Upstox (AP2513041351) के साथ अधिकृत व्यक्ति हूँ।

Investments in the securities market are subject to market risks, read all the related documents carefully before investing.

Neelam

About Neelam

Neelam सरल शब्दों में market की जटिल जानकारी साझा करती हैं।

Related Articles

Trading और Investing में टेक्नोलॉजी का कमाल: भारतीय निवेशकों के लिए नए रास्ते

Trading और Investing में टेक्नोलॉजी का कमाल: भारतीय निवेशकों के लिए नए रास्ते

जानें कैसे टेक्नोलॉजी ने भारतीय stock market को पूरी तरह बदल दिया है। Algo trading से लेकर AI और mobile apps तक, जानें आपके लिए इसमें क्या मौके हैं और किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

By Neelam
Vedanta Q1 Results: Metals में मजबूती, पर Oil & Gas Production में 17% की बड़ी गिरावट

Vedanta Q1 Results: Metals में मजबूती, पर Oil & Gas Production में 17% की बड़ी गिरावट

वेदांता ने FY25 की पहली तिमाही के प्रोडक्शन के आंकड़े जारी किए हैं। जहाँ एल्यूमीनियम और जिंक जैसे मेटल्स ने अच्छा प्रदर्शन किया, वहीं तेल और गैस सेगमेंट में 17% की भारी गिरावट ने चिंता बढ़ा दी है।

By Neelam