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Demat खातों की रफ्तार धीमी: क्या यह बाजार में बड़े बदलाव का संकेत है?

2025 में नए Demat खातों की संख्या में 40% की भारी गिरावट आई है। यह बाजार की अस्थिरता और IPO के ठंडे प्रदर्शन का नतीजा है, या फिर यह retail निवेशकों की रणनीति में एक बड़े बदलाव का संकेत है? आइए इस trend का गहराई से विश्लेषण करें।

Demat खातों की रफ्तार धीमी: क्या यह बाजार में बड़े बदलाव का संकेत है?

हाल ही में भारतीय share market से एक चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। नए Demat खाते खोलने की रफ़्तार में लगभग 40% की भारी गिरावट दर्ज की गई है। सितंबर 2025 में सिर्फ़ 24 लाख के करीब नए खाते खुले, जो पिछले कई महीनों में सबसे कम है। एक तरफ जहाँ market अपने all-time high के आसपास trade कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ नए investors का उत्साह ठंडा पड़ता दिख रहा है।

यह आंकड़ा कई सवाल खड़े करता है। क्या यह बाजार में आने वाली किसी बड़ी गिरावट का संकेत है? क्या छोटे निवेशक डर गए हैं? या फिर यह retail investors की सोच और strategy में एक गहरे बदलाव का प्रतीक है? आइए इन सभी पहलुओं को समझते हैं।

Demat Account Slowdown

गिरावट के पीछे क्या हैं मुख्य कारण?

किसी भी trend के पीछे एक नहीं, बल्कि कई वजहें होती हैं। Demat खातों की संख्या में कमी के पीछे भी कुछ साफ़ कारण नज़र आते हैं:

  1. बाजार की अस्थिरता (Market Volatility): पिछले कुछ समय से बाजार में काफ़ी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। जब market एक सीधी लाइन में ऊपर नहीं जाता, तो नए और कम अनुभवी निवेशक घबरा जाते हैं। अस्थिरता का माहौल उन्हें बाजार में enter करने से रोकता है।
  2. IPO का ठंडा प्रदर्शन: एक समय था जब IPO का मतलब listing पर गारंटीड मुनाफ़ा माना जाता था। लेकिन हाल के दिनों में कई IPOs ने निवेशकों को निराश किया है। जब आसान पैसा बनाने का यह रास्ता बंद हो जाता है, तो नए लोगों का आकर्षण भी कम हो जाता है।
  3. एक साल से सुस्त Returns: Post-Covid रैली के बाद, पिछले एक साल से ज़्यादा समय से बाजार एक दायरे में फंसा हुआ है (consolidation phase)। जिन निवेशकों को तेज़ी से पैसा बनाने की आदत हो गई थी, उनके लिए यह दौर धैर्य की परीक्षा ले रहा है। जब returns फ्लैट हो जाते हैं, तो नया जोश भी ठंडा पड़ जाता है।
  4. प्राकृतिक संतृप्ति (Natural Saturation): एक तर्क यह भी है कि जिन लोगों को Demat खाता खोलना था, उनमें से ज़्यादातर पहले ही खोल चुके हैं। अब growth की रफ़्तार स्वाभाविक रूप से धीमी होगी और यह मुख्य रूप से उस नई पीढ़ी पर निर्भर करेगी जो 18 साल की हो रही है।

Demat Account Slowdown

इस Slowdown के दो पहलू: खतरा या अवसर?

इस गिरावट को देखने के दो नज़रिए हो सकते हैं। एक नज़रिए से यह खतरे की घंटी है, तो दूसरे से यह एक अवसर भी हो सकता है।

पहलू 1: खतरे की घंटी

कुछ market analysts का मानना है कि यह एक क्लासिक ‘टॉप’ का संकेत है। जब बाजार अपने चरम पर हो और नए निवेशकों की भागीदारी घटने लगे, तो इसका मतलब है कि “smart money” यानी बड़े और institutional investors धीरे-धीरे अपना माल बेच रहे हैं। यह बाजार में एक तरह की आत्मसंतुष्टि (complacency) का संकेत है, जिसके बाद अक्सर एक correction आता है।

पहलू 2: स्मार्ट निवेशकों का अवसर

इसके विपरीत, दूसरा नजरिया यह है कि यह बाजार के लिए एक healthy sign है। लंबे समय तक चलने वाले consolidation phase institutional investors को बहुत पसंद आते हैं। जब retail निवेशक अस्थिरता से डरकर बाहर हो जाते हैं, तब बड़े खिलाड़ी चुपचाप कम कीमतों पर अच्छी कंपनियों के share जमा करते हैं। यह वह समय होता है जब भविष्य के multi-bagger stocks की नींव रखी जाती है। Retail का पीछे हटना बाजार की maturity को दर्शाता है, जहाँ केवल गंभीर और लंबी अवधि के निवेशक ही टिकते हैं।

Retail Investor बाजार छोड़ रहा है या तरीका बदल रहा है?

यह सबसे महत्वपूर्ण सवाल है। आंकड़े शायद पूरी कहानी नहीं बता रहे हैं। ऐसा नहीं है कि retail निवेशक पूरी तरह से बाजार से मुंह मोड़ रहा है; बल्कि वह अपने निवेश का तरीक़ा बदल रहा है।

SIP और Mutual Funds का बढ़ता क्रेज(craze)

Demat खातों की संख्या में कमी के बावजूद, Systematic Investment Plan (SIP) के आंकड़े लगातार मज़बूत बने हुए हैं। सितंबर 2025 में SIP inflows ने ₹29,361 करोड़ का नया रिकॉर्ड बनाया। इससे यह संकेत मिलता है कि जो निवेशक पहले सीधे stocks या F&O में हाथ आज़मा रहे थे, वे अब Mutual Funds के ज़रिए अनुशासित और सुरक्षित रास्ता अपना रहे हैं। यह एक बहुत ही positive बदलाव है। Post-Covid बैच के कई निवेशकों ने सीधे Derivatives (F&O) में trading करके पैसा गंवाया है, और अब वे अपनी गलतियों से सीखकर एक ज़्यादा टिकाऊ strategy की ओर बढ़ रहे हैं।

निवेश सीखने का सही क्रम(Order)

एक आम गलती जो नए निवेशक करते हैं, वह है “top-down” अप्रोच। वे सबसे पहले सबसे जोखिम भरे segment, यानी F&O से शुरुआत करते हैं, वहाँ पैसा गंवाने के बाद वे individual stocks में आते हैं, और जब वहाँ भी नुकसान होता है, तो अंत में थक-हारकर Mutual Funds में आते हैं।

जबकि सफलता का रास्ता ठीक इसके विपरीत है - “bottom-up” अप्रोच:

  1. स्कूल (Mutual Funds/SIP): पहले Mutual Funds से शुरुआत करें। यह बाजार को समझने और अनुशासन सीखने का सबसे अच्छा तरीका है।
  2. हाई स्कूल (Direct Equity): जब आपकी समझ गहरी हो जाए, तब अच्छी कंपनियों के stocks में सीधे निवेश करना शुरू करें।
  3. कॉलेज (Derivatives/F&O): और अंत में, जब आपके पास गहरा ज्ञान और अनुभव हो, तभी F&O जैसे जटिल instruments में हाथ डालें।

Demat Account Slowdown

निष्कर्ष: क्या है Final Takeaway?

Demat खातों की संख्या में 40% की गिरावट पहली नज़र में चिंताजनक लग सकती है, लेकिन गहराई से देखने पर यह भारतीय retail निवेशक के mature होने की कहानी कहती है। यह दौर उन लोगों के लिए एक सबक है जो बाजार को जल्दी अमीर बनने की स्कीम समझते हैं।

यह गिरावट एक स्वस्थ बाजार का संकेत है, जहाँ झाग (froth) कम हो रहा है और केवल गंभीर खिलाड़ी मैदान में टिके हैं। नए निवेशकों के लिए संदेश साफ़ है: धैर्य रखें, सीखने पर ध्यान दें, और quick profit के बजाय long-term wealth बनाने पर focus करें। SIP और Mutual Funds इसका सबसे अच्छा ज़रिया हैं। बाजार की असली ताक़त नए खातों की संख्या में नहीं, बल्कि निवेशकों की समझदारी और अनुशासन में है।

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