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Global Investing: भारतीय निवेशक Apple, Google जैसे विदेशी Stocks में कैसे Invest करें?

विदेशी बाजारों में निवेश अब सिर्फ बड़े निवेशकों तक सीमित नहीं है। जानें कि आप एक भारतीय निवेशक के रूप में Apple, Google और Tesla जैसे ग्लोबल शेयरों में कैसे निवेश कर सकते हैं।

Global Investing: भारतीय निवेशक Apple, Google जैसे विदेशी Stocks में कैसे Invest करें?

क्या आपने कभी सोचा है कि काश आपके portfolio में Apple, Google, या Tesla जैसी दुनिया की दिग्गज कंपनियों के shares होते? कुछ साल पहले तक, यह भारतीय retail निवेशकों के लिए एक दूर का सपना लगता था। लेकिन अब, बदलते नियमों और नई technology की बदौलत, दुनिया के किसी भी बड़े stock exchange में निवेश करना पहले से कहीं ज़्यादा आसान हो गया है।

इस गाइड में, हम आपको बताएंगे कि आप एक भारतीय निवेशक के तौर पर अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कैसे कदम रख सकते हैं, इसके क्या फायदे हैं, और आपको किन नियमों का पालन करना होगा।

Key Takeaways:

  • क्यों करें ग्लोबल निवेश? अपने portfolio में geographical diversification लाने और दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों की growth का हिस्सा बनने के लिए।
  • कैसे करें निवेश? आप दो मुख्य तरीकों से निवेश कर सकते हैं: अप्रत्यक्ष (Indirect) तरीका, जैसे Mutual Funds/ETFs, और प्रत्यक्ष (Direct) तरीका, जिसमें आप सीधे विदेशी stocks खरीदते हैं।
  • नियम और सीमाएं: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की Liberalised Remittance Scheme (LRS) के तहत, आप एक वित्तीय वर्ष में $250,000 तक विदेश भेज सकते हैं। ₹10 लाख से ऊपर के निवेश पर 20% TCS लगता है।

आपको Global Investing क्यों करनी चाहिए?

भारत एक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, लेकिन अपने निवेश को सिर्फ एक ही देश तक सीमित रखना समझदारी नहीं है। Global investing आपके portfolio को कई तरह से फायदा पहुंचा सकती है:

  1. Diversification (विविधीकरण): यह सबसे बड़ा फायदा है। अगर भारतीय बाजार किसी वजह से अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहा है, तो हो सकता है कि अमेरिकी या यूरोपीय बाजार तेजी से बढ़ रहे हों। अपने निवेश को अलग-अलग देशों में फैलाकर, आप अपने portfolio का risk कम करते हैं।
  2. बड़ी कंपनियों तक पहुंच: दुनिया की कई सबसे बड़ी और innovative कंपनियां - जैसे Microsoft, Amazon, Nvidia - भारतीय exchanges पर लिस्टेड नहीं हैं। Global investing आपको इन कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदने का मौका देती है।
  3. Currency का फायदा: अगर भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर होता है, तो आपके डॉलर-आधारित निवेश की कीमत रुपए में अपने आप बढ़ जाएगी।

A world map with stock market graphs superimposed over different continents, symbolizing global portfolio diversification.

अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश कैसे करें?

भारतीय निवेशकों के लिए मुख्य रूप से दो रास्ते हैं:

1. अप्रत्यक्ष तरीका (Indirect Route): Mutual Funds और ETFs

यह सबसे आसान तरीका है, खासकर नए निवेशकों के लिए। इसमें आप उन भारतीय Mutual Funds या Exchange-Traded Funds (ETFs) में निवेश करते हैं जो विदेशी बाजारों में पैसा लगाते हैं।

  • फायदे:

    • कम पैसे से शुरुआत कर सकते हैं (₹500 की SIP से भी)।
    • Fund manager आपके लिए research और stock चुनने का काम करता है।
    • आपको सीधे विदेशी खाता खोलने की जरूरत नहीं है।
  • वर्तमान स्थिति: फरवरी 2022 से, RBI ने Mutual Funds के लिए विदेशी निवेश की $7 बिलियन की इंडस्ट्री-वाइड लिमिट पूरी हो जाने के कारण नए निवेश पर रोक लगा दी थी। यह रोक 2025 में भी काफी हद तक जारी है, जिस वजह से ज़्यादातर अंतरराष्ट्रीय Mutual Funds में नए lump sum या SIP निवेश स्वीकार नहीं किए जा रहे हैं। कुछ ETFs में अभी भी थोड़ी गुंजाइश हो सकती है, लेकिन विकल्प सीमित हैं।

2. प्रत्यक्ष तरीका (Direct Route): सीधे Stocks खरीदना

यह तरीका उन निवेशकों के लिए है जो खुद research करके अपने पसंदीदा शेयर चुनना चाहते हैं। इसके लिए आपको RBI की LRS (Liberalised Remittance Scheme) का उपयोग करना होता है।

  • कैसे करें:
    • भारतीय Fintech प्लेटफॉर्म्स: कई भारतीय brokerage फर्म्स और fintech ऐप्स (जैसे INDmoney, Vested, Angel One) अब अमेरिकी बाजारों में सीधे निवेश की सुविधा देते हैं। ये प्लेटफॉर्म भारत में आपका बैंक खाता लिंक करके, LRS के तहत विदेश में पैसा भेजने और शेयर खरीदने की प्रक्रिया को बहुत आसान बना देते हैं।
    • विदेशी ब्रोकर के साथ खाता: आप सीधे किसी अंतरराष्ट्रीय brokerage फर्म (जैसे Charles Schwab, Interactive Brokers) के साथ भी एक trading account खोल सकते हैं। हालांकि, इसमें प्रक्रिया थोड़ी जटिल हो सकती है और न्यूनतम निवेश की जरूरत भी अधिक हो सकती है।

A flowchart showing two paths for an Indian investor: one leading to 'Mutual Funds/ETFs' and the other leading to 'Direct Stocks via LRS'.

नियम, सीमाएं और टैक्स - सबसे ज़रूरी बातें

सीधे विदेशी निवेश करने से पहले इन नियमों को समझना बहुत ज़रूरी है।

RBI की Liberalised Remittance Scheme (LRS)

LRS के तहत, एक भारतीय नागरिक एक वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल से 31 मार्च) में $250,000 तक विदेश भेज सकता है। इस सीमा में आपकी पढ़ाई, इलाज, यात्रा और निवेश सब कुछ शामिल है।

Tax Collected at Source (TCS)

जब आप LRS के तहत निवेश के लिए विदेश पैसा भेजते हैं, तो उस पर TCS कटता है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए नियम इस प्रकार हैं:

  • ₹10 लाख तक की रकम पर: कोई TCS नहीं।
  • ₹10 लाख से ऊपर की रकम पर: 20% TCS लागू होगा (सिर्फ ₹10 लाख से ऊपर वाली अतिरिक्त राशि पर)।

ध्यान दें: यह 20% TCS आपका अतिरिक्त टैक्स नहीं है। आप इसे अपना इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करते समय अपनी कुल टैक्स देनदारी के सामने adjust कर सकते हैं या refund क्लेम कर सकते हैं।

अन्य खर्चे और टैक्स

  • Currency Conversion Fee: जब आप रुपए को डॉलर में बदलते हैं, तो बैंक या प्लेटफॉर्म कुछ फीस लेता है।
  • Capital Gains Tax: जब आप विदेशी शेयर बेचकर मुनाफा कमाते हैं, तो उस पर भारत में टैक्स देना होता है। होल्डिंग पीरियड के हिसाब से लॉन्ग-टर्म या शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगेगा।
  • Dividend Tax: विदेशी कंपनियों से मिलने वाले dividend पर भी आपके इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगता है।

निष्कर्ष

Global investing अब एक जटिल प्रक्रिया नहीं रह गई है। सही जानकारी और प्लानिंग के साथ, आप भी अपने portfolio को दुनिया भर में फैला सकते हैं और वैश्विक विकास की कहानी का हिस्सा बन सकते हैं। अगर आप शुरुआत कर रहे हैं, तो किसी Fintech प्लेटफॉर्म के जरिए सीधे US stocks में छोटी रकम से निवेश करना एक अच्छा पहला कदम हो सकता है।

यह लेख केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए है और निवेश पर सलाह नहीं है। निवेश से पहले अपना खुद का research अवश्य करें।

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