ईरान-अमेरिका तनाव का असर: सेंसेक्स 500 अंक टूटा, निवेशक अब क्या करें?
मध्य पूर्व में अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव का असर भारतीय शेयर बाजार पर साफ दिखा। सेंसेक्स 500 से ज्यादा अंक लुढ़क गया और निफ्टी 25,000 के नीचे आ गया। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि बाजार क्यों गिरा, इसका क्या असर हुआ और ऐसे में आपको क्या कदम उठाने चाहिए।

सोमवार, 23 जून 2025 को मध्य पूर्व में बढ़ते geopolitical tension के कारण भारतीय शेयर बाजार में भारी बिकवाली देखी गई, जिससे प्रमुख इंडेक्स लाल निशान में बंद हुए।
आज दलाल स्ट्रीट पर क्या हुआ?
हफ्ते की शुरुआत भारतीय निवेशकों के लिए ठीक नहीं रही। अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बढ़ने की खबर आते ही बाजार में घबराहट का माहौल बन गया। पिछले हफ्ते की शानदार तेजी के बाद, आज मार्केट गैप-डाउन खुला और दिन भर दबाव में ही रहा।
कारोबार खत्म होने पर, BSE सेंसेक्स 511.38 अंक (0.62%) गिरकर 81,896.79 पर बंद हुआ। दिन के दौरान, सेंसेक्स ने 931.41 अंक का गोता भी लगाया था, जो निवेशकों की चिंता को दिखाता है। इसी तरह, NSE निफ्टी 50 भी 140.50 अंक (0.56%) की गिरावट के साथ 24,971.90 पर बंद हुआ, जो 25,000 के अहम साइकोलॉजिकल लेवल से नीचे है।
इस गिरावट का असर सिर्फ इंडेक्स तक ही सीमित नहीं था:
- रुपये में कमजोरी: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 23 पैसे कमजोर होकर 86.78 के पांच महीने के निचले स्तर पर आ गया।
- कच्चे तेल में उबाल: संघर्ष बढ़ने की आशंका से ब्रेंट क्रूड ऑयल का वायदा भाव 2% से ज्यादा उछलकर $78.6 प्रति बैरल पर पहुंच गया। भारत अपनी जरूरत का 85% से ज्यादा तेल इम्पोर्ट करता है, इसलिए महंगा कच्चा तेल हमारी इकोनॉमी के लिए चिंता का विषय है।
- बढ़ी अस्थिरता: बाजार में डर को मापने वाला India VIX इंडेक्स भी लगभग 3% बढ़ गया, जो आने वाले दिनों में और उतार-चढ़ाव का संकेत है।
गिरावट का सबसे बड़ा कारण: इंटरनेशनल टेंशन
मार्केट में इस भारी गिरावट की सबसे बड़ी वजह अंतरराष्ट्रीय है। खबरों के मुताबिक, अमेरिका ने ईरान के कुछ प्रमुख परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले किए हैं। इस घटना ने मध्य पूर्व में तनाव को और बढ़ा दिया है, जिससे एक बड़े संघर्ष का खतरा पैदा हो गया है।
इस तरह के geopolitical conflict का असर ग्लोबल इकोनॉमी पर पड़ता है:
- ऑयल सप्लाई का खतरा: ईरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) को बंद करने की धमकी दी है, जो दुनिया के तेल व्यापार का एक अहम रास्ता है। अगर ऐसा हुआ, तो तेल की सप्लाई रुकेगी और कीमतें आसमान छू सकती हैं।
- ‘Risk-Off’ सेंटिमेंट: जब भी दुनिया में अनिश्चितता बढ़ती है, तो निवेशक शेयर बाजार जैसे जोखिम भरे एसेट्स से पैसा निकालकर सोना और अमेरिकी डॉलर जैसे सुरक्षित विकल्पों में लगाते हैं। इसे “risk-off” सेंटिमेंट कहते हैं, जो आज बाजार में साफ दिखा।
- आर्थिक मंदी की आशंका: तेल की ऊंची कीमतें और ग्लोबल अस्थिरता से महंगाई बढ़ सकती है और आर्थिक विकास की रफ्तार धीमी हो सकती है, जो किसी भी देश के शेयर बाजार के लिए अच्छी खबर नहीं है।
किन सेक्टर्स पर पड़ा असर?
आज की गिरावट का असर लगभग सभी सेक्टर्स पर दिखा, लेकिन कुछ में बिकवाली ज्यादा हावी रही।
- सबसे ज्यादा प्रभावित: IT और ऑटो सेक्टर आज के टॉप लूजर्स में शामिल थे। Nifty IT इंडेक्स लगभग 1.5% टूटा। इसकी एक वजह Accenture के कमजोर नतीजों के बाद ग्लोबल टेक खर्च में नरमी की चिंता भी थी। सेंसेक्स के टॉप लूजर्स में HCL Tech, Infosys, L&T, M&M, और TCS जैसे बड़े नाम थे।
- चमकने वाले शेयर: इस गिरावट के माहौल में भी डिफेंस (रक्षा) से जुड़े स्टॉक्स में तेजी दिखी। संघर्ष की स्थिति में इन कंपनियों को ज्यादा ऑर्डर मिलने की उम्मीद बढ़ जाती है। Bharat Electronics (BEL) आज सेंसेक्स के टॉप गेनर्स में से एक था। इसके अलावा Nifty Media इंडेक्स में भी 3% की बढ़त दर्ज की गई।
आगे क्या? निवेशकों के लिए सही स्ट्रैटेजी
बाजार में इस तरह का तेज उतार-चढ़ाव रिटेल निवेशकों को डरा सकता है। ऐसे में घबराकर कोई भी फैसला लेने से बचना चाहिए।
एक्सपर्ट्स की राय
मार्केट एक्सपर्ट्स मौजूदा हालात पर करीब से नजर बनाए हुए हैं। रेलिगेयर ब्रोकिंग के अजित मिश्रा जैसे एनालिस्ट्स का मानना है कि निफ्टी के लिए 25,200 का लेवल एक अहम रेजिस्टेंस (बाधा) बना हुआ है। जब तक बाजार इसे पार नहीं करता, तब तक बड़ी तेजी की उम्मीद कम है। वहीं, नीचे की ओर 24,700 एक तत्काल और महत्वपूर्ण सपोर्ट लेवल है। अगर निफ्टी इससे नीचे फिसलता है, तो और गिरावट आ सकती है।
निवेशकों को क्या करना चाहिए?
- शांत रहें, पैनिक न करें: Geopolitical tension से आई गिरावट अक्सर शॉर्ट-टर्म होती है। अपने लॉन्ग-टर्म फाइनेंशियल लक्ष्यों पर फोकस करें और जल्दबाजी में अच्छी क्वालिटी वाले स्टॉक्स न बेचें।
- अपने पोर्टफोलियो को रिव्यू करें: देखें कि आपका पोर्टफोलियो कितना डायवर्सिफाइड है। क्या आपके पास सिर्फ एक ही सेक्टर के बहुत सारे स्टॉक हैं? डायवर्सिफिकेशन यानी अलग-अलग सेक्टर्स में निवेश, आपके रिस्क को कम करने में मदद करता है।
- SIP चालू रखें: अगर आप Systematic Investment Plan (SIP) के जरिए निवेश कर रहे हैं, तो इसे जारी रखना ही सबसे बेहतर है। बाजार में गिरावट का मतलब है कि आप उसी पैसे में ज्यादा यूनिट्स खरीद सकते हैं, जिससे लॉन्ग-टर्म में आपकी औसत लागत कम हो जाती है।
- ‘Buy on Dips’ की रणनीति अपनाएं: अच्छी कंपनियों के शेयर जब इस तरह की गिरावट में सस्ते मिलते हैं, तो यह लॉन्ग-टर्म निवेशकों के लिए खरीदारी का एक मौका हो सकता है। लेकिन, कोई भी स्टॉक खरीदने से पहले उसकी फंडामेंटल मजबूती की जांच जरूर करें।
आगे क्या उम्मीद करें?
आने वाले कुछ दिन बाजार के लिए अस्थिर रह सकते हैं। निवेशकों की नजरें इन बातों पर टिकी रहेंगी:
- ईरान का अगला कदम: ईरान अमेरिकी हमले का क्या और कैसे जवाब देता है, यह तय करेगा कि तनाव कितना बढ़ेगा।
- कच्चे तेल की कीमतें: क्रूड ऑयल की चाल पर नजर रखना बहुत जरूरी होगा।
- FII का रुख: विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) इस अनिश्चितता में खरीदारी करते हैं या बिकवाली, यह बाजार की दिशा के लिए एक अहम संकेत होगा।
कुल मिलाकर, आज का दिन दलाल स्ट्रीट के लिए एक रिमाइंडर था कि ग्लोबल घटनाएं भारतीय बाजार को कितनी गहराई से प्रभावित कर सकती हैं। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे सतर्क रहें, अपने रिस्क को मैनेज करें और कोई भी निवेश का फैसला लेने से पहले अच्छी तरह रिसर्च करें।
Disclaimer: यह लेख केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है और इसे निवेश की सलाह नहीं माना जाना चाहिए। किसी भी निवेश से पहले अपनी खुद की रिसर्च जरूर करें।
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