नया इनकम टैक्स कानून 2025: आपकी जेब पर क्या होगा असर? जानें 5 बड़े बदलाव
सरकार ने 60 साल पुराने टैक्स कानून को बदलने के लिए नया Income Tax (No. 2) Bill, 2025 पेश किया है। जानिए 'Tax Year', होम लोन और पेंशन से जुड़े बड़े बदलावों के बारे में।

भारत सरकार ने 11 अगस्त 2025 को लोकसभा में नया Income Tax (No. 2) Bill, 2025 पेश किया है। यह बिल हमारे देश के 60 साल से भी ज़्यादा पुराने Income Tax Act, 1961 की जगह लेने के लिए लाया गया है। इसका मुख्य मकसद tax laws को आसान बनाना, कानूनी मुकदमेबाजी (litigation) को कम करना और आम आदमी के लिए tax नियमों को समझना आसान बनाना है।
सरकार ने इसे ‘S.I.M.P.L.E’ (Streamlined, Integrated, Minimised litigation, Practical, Learn and adapt, Efficient) सिद्धांत पर आधारित बताया है। आइए, इस नए बिल के उन बड़े बदलावों को समझते हैं जिनका सीधा असर आप पर और आपके निवेश पर पड़ेगा।
बिल की खास बातें (Highlights of the Bill)
- ‘Tax Year’ की शुरुआत: अब ‘Previous Year’ और ‘Assessment Year’ का झंझट खत्म। इनकी जगह सिर्फ एक ‘Tax Year’ होगा।
- होम लोन पर राहत: किराए पर दिए गए घर के pre-construction interest पर भी अब tax छूट मिलेगी।
- LLPs के लिए बड़ी खबर: Limited Liability Partnerships (LLPs) पर लगने वाला Alternate Minimum Tax (AMT) हटा दिया गया है।
- पेंशन पर स्पष्टता: एकमुश्त मिलने वाली पेंशन (commuted pension) पर tax छूट को साफ़ कर दिया गया है।
1. सबसे बड़ा बदलाव: अब ‘Previous Year’ और ‘Assessment Year’ नहीं, सिर्फ ‘Tax Year’
अब तक हम दो शब्दों से जूझते थे - ‘Previous Year’ (जिस साल आप कमाई करते हैं) और ‘Assessment Year’ (जिस साल आप उस कमाई पर tax भरते हैं)। यह हमेशा नए taxpayers के लिए confusion पैदा करता था।
नए बिल में इस व्यवस्था को खत्म कर दिया गया है। अब सिर्फ एक ‘Tax Year’ होगा। इसका मतलब है कि जिस साल आप कमाई करेंगे, उसी साल को ‘Tax Year’ कहा जाएगा और उसी के हिसाब से tax की गणना होगी। यह एक बहुत बड़ा और स्वागत योग्य कदम है जो tax system को सरल बनाएगा।
2. होम लोन और रेंटल इनकम पर टैक्सपेयर्स को राहत
नए बिल ने ‘Income from House Property’ से जुड़े दो बड़े confusion दूर कर दिए हैं, जिससे घर मालिकों को काफी राहत मिली है।
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Standard Deduction पर स्पष्टता: घर से होने वाली किराये की आमदनी पर 30% का Standard Deduction मिलता है। पहले यह स्पष्ट नहीं था कि यह छूट Gross Rental Income पर मिलेगी या Municipal Tax चुकाने के बाद बची रकम पर। नए बिल में साफ़ किया गया है कि 30% की यह कटौती Municipal Tax घटाने के बाद बची हुई Net Annual Value पर मिलेगी। इससे आपकी tax देनदारी कम होगी।
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Pre-construction Interest पर छूट: अगर आपने घर बनाने के लिए loan लिया है, तो घर बनने से पहले चुकाए गए ब्याज पर भी आप tax छूट ले सकते हैं। पहले यह छूट सिर्फ खुद रहने वाले (self-occupied) घर के लिए ही स्पष्ट थी। अब नए बिल में यह साफ कर दिया गया है कि यह छूट किराए पर दी गई (let-out) property पर भी मिलेगी। यह उन निवेशकों के लिए बड़ी राहत है जो घर खरीदकर उसे किराए पर देते हैं।
3. बिजनेस और प्रोफेशनल्स के लिए बड़ी खुशखबरी
यह बिल सिर्फ आम नौकरीपेशा लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि व्यापारियों और प्रोफेशनल्स के लिए भी बड़े बदलाव लेकर आया है।
- LLPs पर से AMT हटा: Limited Liability Partnerships (LLPs) और फैमिली ऑफिस के लिए सबसे बड़ी राहत यह है कि उन पर लगने वाला Alternate Minimum Tax (AMT) हटा दिया गया है। इससे इन business structures को बढ़ावा मिलेगा।
- Charitable Trusts को राहत: चैरिटेबल ट्रस्टों पर लगाए गए कुछ कड़े नियमों में ढील दी गई है। उन्हें अब capital gains tax के reinvestment का फायदा फिर से मिलेगा।
- Inter-corporate Dividend पर डबल टैक्स खत्म: एक कंपनी जब दूसरी कंपनी में अपने निवेश से dividend पाती है, तो उस पर tax लगता था। अब Section 80M के तहत मिलने वाली छूट को फिर से बहाल कर दिया गया है, जिससे ऐसी आय पर डबल tax नहीं लगेगा।
4. नए Tax Regime के स्लैब में बदलाव
नए बिल में New Tax Regime के स्लैब को भी औपचारिक रूप दिया गया है। ये स्लैब इस प्रकार हैं:
Income Slab | Tax Rate |
---|---|
₹4,00,000 तक | कोई टैक्स नहीं |
₹4,00,001 से ₹8,00,000 | 5% |
₹8,00,001 से ₹12,00,000 | 10% |
₹12,00,001 से ₹16,00,000 | 15% |
₹16,00,001 से ₹20,00,000 | 20% |
₹20,00,001 से ₹24,00,000 | 25% |
₹24,00,000 से ऊपर | 30% |
5. पेंशन, रिफंड और TDS से जुड़े अन्य बड़े बदलाव
- Commuted Pension पर टैक्स छूट: अगर आप किसी पेंशन फंड (जैसे LIC Pension Fund) से एकमुश्त यानी commuted pension लेते हैं, तो उस पर मिलने वाली tax छूट को अब कानून में स्पष्ट रूप से शामिल कर लिया गया है।
- देर से ITR भरने पर भी रिफंड: अगर आप किसी कारण से तय तारीख के बाद ITR फाइल करते हैं, तब भी आप tax refund क्लेम कर पाएंगे।
- Nil-TDS सर्टिफिकेट: जिन लोगों की कोई tax देनदारी नहीं बनती, वे पहले से ही ‘Nil-TDS’ certificate के लिए आवेदन कर सकते हैं ताकि उनका TDS न कटे।
कुल मिलाकर, यह नया बिल tax कानूनों के सरलीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है। इसका उद्देश्य compliance को आसान बनाना और taxpayers के लिए चीजों को अधिक transparent बनाना है।
यह लेख केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए है और निवेश पर सलाह नहीं है। निवेश से पहले अपना स्वयं का शोध अवश्य करें।
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