RBI ने Repo Rate नहीं बदला, फिर भी शेयर बाज़ार क्यों गिरा? जानें 5 बड़े कारण
RBI की Monetary Policy Committee ने repo rate को 5.50% पर स्थिर रखा, लेकिन फिर भी Sensex और Nifty लाल निशान में बंद हुए। जानिए इस फैसले का आपके निवेश और portfolio पर क्या असर पड़ेगा।

आज पूरे भारतीय शेयर बाज़ार की नज़रें Reserve Bank of India (RBI) की Monetary Policy Committee (MPC) की बैठक पर थीं। जैसा कि ज़्यादातर experts का अनुमान था, RBI ने repo rate को 5.50% पर स्थिर रखा। लेकिन इस फैसले के बावजूद, बाज़ार में गिरावट क्यों आई?
यह फैसला एक ऐसे समय में आया है जब निवेशक महंगाई, global trade tensions और economic growth की रफ्तार को लेकर काफी सतर्क हैं। आइए, इस पॉलिसी के हर पहलू को आसान भाषा में समझते हैं और जानते हैं कि एक retail investor के तौर पर आपको आगे क्या करना चाहिए।
RBI पॉलिसी में क्या हुआ और यह क्यों अहम है?
बुधवार, 6 अगस्त 2025 को, RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली MPC ने unanimously (सर्वसम्मति से) पॉलिसी repo rate को 5.50% पर unchanged रखने का फैसला किया। यह लगातार तीसरी बैठक है जब दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
Repo rate वह दर है जिस पर RBI, commercial बैंकों को कर्ज देता है। यह आपके home loan, car loan की EMI से लेकर आपकी FD की ब्याज दरों तक, सब कुछ प्रभावित करता है।
दरों को स्थिर रखने के बावजूद, बाज़ार ने इस पर negative reaction दिया। BSE Sensex और NSE Nifty, दोनों ही लाल निशान में बंद हुए।
जब सब ठीक था, तो बाज़ार क्यों गिरा?
जब ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ, तो बाज़ार में गिरावट की क्या वजह थी? इसके पीछे कुछ बड़े कारण हैं:
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Global Tensions: सबसे बड़ा कारण अमेरिका और भारत के बीच चल रहे trade tensions हैं। अमेरिकी प्रशासन द्वारा भारतीय निर्यातों पर टैरिफ बढ़ाने की चिंता बाज़ार पर हावी रही। गवर्नर ने zwar कहा कि इन चुनौतियों का असर पहले से अनुमान में शामिल है, लेकिन बाज़ार इस तनाव को लेकर चिंतित है।
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‘Neutral’ Stance बरकरार: निवेशकों को उम्मीद थी कि RBI भविष्य में दरें घटाने का कोई संकेत देगा, लेकिन पॉलिसी का रुख ‘Neutral’ ही बना रहा। इसका मतलब है कि RBI अभी ‘wait and watch’ मोड में है और निकट भविष्य में दरें घटाने की जल्दी में नहीं है।
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कोई नई सकारात्मक घोषणा नहीं: बाज़ार को किसी बड़े positive surprise की उम्मीद थी, जैसे liquidity बढ़ाने के लिए कोई नया कदम, लेकिन ऐसी कोई घोषणा नहीं हुई।
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Profit Booking: शेयर बाज़ार पिछले कुछ समय से अपने high levels पर कारोबार कर रहा है। ऐसे में, किसी भी बड़ी event के बाद निवेशक अक्सर अपना मुनाफा वसूलते हैं, जिसे profit booking कहते हैं। RBI पॉलिसी एक ऐसा ही ट्रिगर बना।
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सेक्टर-विशेष दबाव: Global trade tensions की वजह से IT और Pharma जैसे export-oriented sectors पर सबसे ज़्यादा दबाव देखा गया, जिससे पूरे बाज़ार का sentiment बिगड़ गया।
पॉलिसी के सकारात्मक पहलू (Good News)
हालांकि बाज़ार गिरा, लेकिन पॉलिसी में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कुछ अच्छी खबरें भी थीं:
- महंगाई का अनुमान घटा: RBI ने वित्त वर्ष 2026 के लिए महंगाई (CPI inflation) का अनुमान 3.7% से घटाकर 3.1% कर दिया है। यह एक बहुत बड़ा positive संकेत है, जिसका मतलब है कि आने वाले समय में महंगाई से राहत मिल सकती है।
- GDP Growth का भरोसा: वैश्विक चिंताओं के बावजूद, RBI ने FY26 के लिए भारत की GDP growth का अनुमान 6.5% पर बनाए रखा है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था में मज़बूती और विश्वास को दिखाता है।
बाज़ार में कौन से Sector गिरे?
आज के कारोबार में ज़्यादातर sectoral indices लाल निशान में बंद हुए।
- सबसे ज्यादा गिरावट: Nifty IT और Nifty Pharma इंडेक्स में सबसे ज़्यादा बिकवाली देखी गई। इसके अलावा Realty और FMCG stocks पर भी दबाव रहा।
- बढ़त वाले सेक्टर: कुछ PSU Bank stocks में हल्की खरीदारी देखने को मिली, लेकिन यह बाज़ार को संभालने के लिए काफी नहीं थी।
एक निवेशक के तौर पर आगे क्या करें?
एक retail investor के रूप में, आपको इन बातों पर ध्यान देना चाहिए:
- Global News पर नज़र रखें: अमेरिका-भारत trade talks से जुड़ी कोई भी खबर सीधे IT और Pharma stocks पर असर डालेगी।
- Nifty के Levels: Technical analysts के अनुसार, Nifty के लिए 24,500 का लेवल एक मज़बूत support है। अगर बाज़ार इससे नीचे जाता है, तो और गिरावट आ सकती है। ऊपर की ओर, 24,800 एक अहम resistance लेवल है।
- Long-Term Goals पर टिके रहें: बाज़ार की शॉर्ट-टर्म अस्थिरता से घबराएं नहीं। अपने financial goals पर focus करें और अच्छी quality वाली कंपनियों में निवेश जारी रखें।
- SIP जारी रखें: Systematic Investment Plan (SIP) के माध्यम से निवेश करना ऐसे अस्थिर बाज़ार में फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि गिरावट में आपको ज्यादा units खरीदने का मौका मिलता है।
निष्कर्ष: कुल मिलाकर, RBI की पॉलिसी उम्मीद के मुताबिक थी, लेकिन बाज़ार का मूड global signals ने बिगाड़ दिया। यह गिरावट long-term निवेशकों को quality stocks में धीरे-धीरे अपना निवेश बढ़ाने का एक मौका दे सकती है।
Disclaimer: यह लेख केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए है और इसे निवेश सलाह नहीं माना जाना चाहिए। किसी भी निवेश निर्णय से पहले कृपया अपना खुद का research करें या किसी financial advisor से सलाह लें।
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