शेयर बाज़ार कैसे काम करता है? NSE, BSE, और SEBI को आसानी से समझें
भारत के शेयर बाज़ार का पूरा system समझिए। NSE, BSE, SEBI, Demat और T+1 settlement cycle के बारे में जानें, जो मिलकर एक सुरक्षित और कुशल बाज़ार बनाते हैं।

जब हम शेयर बाज़ार में invest करने की बात करते हैं, तो हमारा ध्यान अक्सर सिर्फ कंपनियों के shares खरीदने और बेचने पर होता है। लेकिन पर्दे के पीछे, एक पूरा system और कई संस्थाएं काम कर रही होती हैं जो यह पक्का करती हैं कि पूरी process आसान, सुरक्षित और पारदर्शी हो। एक investor के तौर पर, इस system को समझना आपके लिए बहुत ज़रूरी है।
आइए, भारतीय शेयर बाज़ार के मुख्य पिलर्स को करीब से समझते हैं।
मुख्य बातें (Key Takeaways)
- भारत में दो मुख्य stock exchange हैं: National Stock Exchange (NSE) और Bombay Stock Exchange (BSE)।
- Securities and Exchange Board of India (SEBI) बाज़ार को regulate करता है और investors के हितों की रक्षा करता है।
- आपके shares, NSDL और CDSL जैसी depositories के पास demat (electronic) रूप में सुरक्षित रखे जाते हैं।
- भारत अब T+1 settlement cycle को फॉलो करता है, जिसका मतलब है कि trade होने के अगले business day तक लेन-देन पूरा हो जाता है।
भारत के प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज: NSE और BSE
Stock exchange एक ऐसा market है जहां खरीदार और विक्रेता listed कंपनियों के shares, bonds और दूसरी securities की trading करते हैं। भारत में दो मुख्य stock exchange हैं।
Bombay Stock Exchange (BSE)
1875 में स्थापित, BSE न केवल भारत का बल्कि एशिया का सबसे पुराना stock exchange है। इसकी शुरुआत मुंबई में दलाल स्ट्रीट पर एक बरगद के पेड़ के नीचे कुछ stockbrokers के इकट्ठा होने से हुई थी। आज, BSE दुनिया के सबसे बड़े exchanges में से एक है, जिस पर 5,000 से ज़्यादा कंपनियां listed हैं। इसका बेंचमार्क index S&P BSE Sensex है, जो 30 प्रमुख कंपनियों के performance को track करता है।
National Stock Exchange (NSE)
1992 में स्थापित और 1994 में कामकाज शुरू करने वाला NSE, भारत का सबसे बड़ा stock exchange है। NSE ने भारत में electronic trading की शुरुआत की, जिससे देश भर के investors के लिए trading आसान और पारदर्शी हो गई। इसका प्रमुख बेंचमार्क index Nifty 50 है, जो NSE पर listed 50 सबसे active शेयरों को track करता है।
बाज़ार का Regulator: SEBI (Securities and Exchange Board of India)
SEBI (Securities and Exchange Board of India) भारतीय capital market का मुख्य regulator है। इसे 1992 में एक statutory body (कानूनी अधिकार वाली संस्था) के रूप में स्थापित किया गया था। SEBI का पहला मकसद investors के हितों की रक्षा करना, बाज़ार के विकास को बढ़ावा देना और market की गतिविधियों को control करना है।
SEBI के मुख्य कामों में शामिल हैं:
- Investors की सुरक्षा: यह पक्का करना कि बाज़ार में धोखाधड़ी और गलत practices न हों।
- नियम बनाना: Stockbrokers, mutual funds और बाज़ार के दूसरे बिचौलियों के लिए नियम और guidelines तैयार करना।
- निष्पक्षता पक्की करना: Insider trading (अंदरूनी जानकारी के आधार पर trade) और कीमतों में हेरफेर जैसी गतिविधियों पर रोक लगाना।
आसान भाषा में, SEBI एक रेफरी की तरह है जो यह पक्का करता है कि खेल नियमों के अनुसार और सभी के लिए निष्पक्ष हो।
Depositories और Demat सिस्टम: NSDL और CDSL
पुराने ज़माने में, shares फिजिकल सर्टिफिकेट के रूप में होते थे, जिन्हें संभालना और transfer करना जोखिम भरा और time-consuming था। इस समस्या को हल करने के लिए Dematerialisation (Demat) का concept लाया गया, जहां फिजिकल shares को electronic रूप में बदला जाता है।
यह electronic records दो मुख्य depositories द्वारा रखे जाते हैं:
- National Securities Depository Limited (NSDL): यह मुख्य रूप से NSE पर होने वाले trades को संभालता है।
- Central Depository Services Limited (CDSL): यह मुख्य रूप से BSE पर होने वाले trades को संभालता है।
जब आप एक demat खाता खोलते हैं, तो यह इन depositories से जुड़े एक Depository Participant (DP) - जो आमतौर पर आपका ब्रोकर होता है - के साथ खोला जाता है। आपके सभी shares, bonds और mutual fund units इन्हीं depositories के पास electronic रूप में सुरक्षित रहते हैं, जिससे उनका लेन-देन तेज़ और सुरक्षित हो जाता है।
Trade Settlement प्रोसेस: T+1 साइकिल
Trade settlement वह प्रक्रिया है जिसमें खरीदार को shares और विक्रेता को पैसे का असल transfer होता है। जनवरी 2023 से, भारतीय शेयर बाज़ार पूरी तरह से T+1 settlement cycle पर काम कर रहा है।
इसका मतलब है:
- T का मतलब है Trading का दिन (जिस दिन आपने share खरीदा या बेचा)।
- +1 का मतलब है अगला कारोबारी दिन (business day)।
तो, अगर आप सोमवार को कोई share खरीदते हैं, तो वे मंगलवार तक आपके demat खाते में आ जाएंगे, और अगर आप बेचते हैं, तो पैसा मंगलवार तक आपके खाते में जमा हो जाएगा। इस तेज़ cycle ने बाज़ार में liquidity (तरलता) बढ़ाई है और counterparty risk (लेन-देन में दूसरी पार्टी से होने वाला जोखिम) को कम किया है, जिससे यह investors के लिए ज़्यादा कुशल और सुरक्षित बन गया है।
यह पूरा system - exchange, regulator, depositories और settlement process - मिलकर एक मज़बूत ecosystem बनाता है जो भारतीय शेयर बाज़ार को दुनिया के सबसे dynamic बाज़ारों में से एक बनाता है।
यह लेख केवल जानकारी देने के लिए है और इसे निवेश की सलाह न समझें। किसी भी तरह का निवेश करने से पहले अपनी research ज़रूर करें।
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Investments in the securities market are subject to market risks, read all the related documents carefully before investing.
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