Share Market के 3 महारथी: Retail, DII और FII Investors में कौन है असली 'बॉस'?
भारतीय Share Market में तीन तरह के निवेशक होते हैं - Retail, DII और FII। जानें ये कौन हैं, इनके निवेश का तरीका क्या है, और आज बाज़ार पर किसका दबदबा है।

भारतीय Share Market एक विशाल समुद्र की तरह है, जिसमें कई तरह की मछलियाँ तैरती हैं—कुछ छोटी, कुछ बड़ी और कुछ विशाल। इसी तरह, market में भी अलग-अलग तरह के निवेशक होते हैं, जिनके खरीदने और बेचने के तरीकों से बाज़ार की दिशा तय होती है। मुख्य रूप से ये तीन प्रकार के होते हैं: Retail निवेशक (आप और हम), Domestic Institutional Investors (DII), और Foreign Institutional Investors (FII)।
आइए, इन तीनों को सरल भाषा में समझते हैं और जानते हैं कि भारतीय बाज़ार में इनकी क्या भूमिका है।
Retail Investors (रिटेल निवेशक)
Retail investor का मतलब है आम आदमी, जैसे आप और मैं, जो अपनी बचत का कुछ हिस्सा share market में लगाते हैं। ये अपनी personal capacity में निवेश करते हैं, किसी संस्था के लिए नहीं।
Retail Investors का उदय
2020 के बाद से भारत में retail investors की संख्या में एक क्रांति आई है। COVID-19 lockdown, work-from-home culture, और Zerodha, Groww जैसे user-friendly mobile apps ने market में निवेश करना बेहद आसान बना दिया है।
इसका नतीजा यह है कि जहाँ मार्च 2020 में भारत में लगभग 4 करोड़ demat खाते थे, वहीं 2025 तक यह संख्या 19 करोड़ को पार कर गई है। आज, National Stock Exchange (NSE) के कुल cash market turnover में retail investors की हिस्सेदारी एक बड़ी ताकत बन चुकी है। यह दिखाता है कि अब retail investor को हल्के में नहीं लिया जा सकता।
Domestic Institutional Investors (DIIs)
जैसा कि नाम से ही साफ है, DIIs भारत के ही बड़े संस्थागत निवेशक होते हैं। ये संस्थाएं आम लोगों और कंपनियों से पैसा इकट्ठा करती हैं और उसे market में invest करती हैं।
इनमें मुख्य रूप से शामिल हैं:
- Mutual Funds: जैसे SBI Mutual Fund, HDFC Mutual Fund, जो SIP के माध्यम से लाखों भारतीयों से पैसा जमा करते हैं।
- Insurance Companies: जैसे Life Insurance Corporation of India (LIC) और ICICI Prudential Life Insurance.
- Pension Funds: जो retirement के लिए पैसा manage करते हैं।
- बैंक और दूसरे Financial Institutions.
DIIs की भूमिका
DIIs को भारतीय बाज़ार का “स्थिरता का स्तंभ” माना जाता है। जब विदेशी निवेशक (FIIs) घबराकर भारतीय बाज़ार से पैसा निकालते हैं, तो अक्सर DIIs खरीदारी करके बाज़ार को गिरने से बचाते हैं। उनका निवेश आमतौर पर लंबी अवधि के लिए होता है और वे भारतीय economy की growth story में विश्वास रखते हैं।
Foreign Institutional Investors (FIIs)
FIIs (जिन्हें अब Foreign Portfolio Investors या FPIs भी कहा जाता है) विदेशी कंपनियाँ या संस्थाएँ होती हैं जो भारत के share market में निवेश करती हैं। इनमें विदेशी mutual funds, hedge funds, और pension funds शामिल होते हैं।
FIIs का प्रभाव
ऐतिहासिक रूप से, FIIs भारतीय बाज़ार की दिशा तय करने वाले सबसे बड़े खिलाड़ी रहे हैं।
- FII Inflow (जब वे पैसा लगाते हैं): जब FIIs भारतीय बाज़ार में भारी निवेश करते हैं, तो बाज़ार में तेजी आती है। इससे रुपये में भी मज़बूती आती है।
- FII Outflow (जब वे पैसा निकालते हैं): जब FIIs बिकवाली करते हैं, तो बाज़ार में बड़ी गिरावट आ सकती है। यह अक्सर वैश्विक आर्थिक चिंताओं, ब्याज दरों में बदलाव या भारत के मुकाबले दूसरे देशों के बाज़ार ज़्यादा आकर्षक लगने के कारण होता है।
बदलता बाज़ार: अब कौन है असली ‘बॉस’?
कुछ साल पहले तक FIIs को ही बाज़ार का ‘किंग’ माना जाता था। उनकी बिकवाली से market में सुनामी आ जाती थी। लेकिन अब तस्वीर बदल रही है।
Retail investors की बढ़ती संख्या और SIP के ज़रिए DIIs की लगातार बढ़ती ताकत ने FIIs पर बाज़ार की निर्भरता को कम कर दिया है। अब retail और DIIs मिलकर एक ऐसी मज़बूत घरेलू दीवार बन गए हैं, जो FIIs की भारी बिकवाली को भी झेलने की क्षमता रखती है।
हाल के आंकड़े इस बदलाव की पुष्टि करते हैं। मार्च 2025 तक, DIIs की कुल हिस्सेदारी (17.62%) पहली बार FIIs की हिस्सेदारी (17.22%) से ज़्यादा हो गई है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था और उसके बाज़ार के लिए एक बहुत ही positive संकेत है, जो दिखाता है कि हमारा market अब पहले से कहीं ज़्यादा मज़बूत और आत्मनिर्भर हो गया है।
निष्कर्ष
एक निवेशक के तौर पर, यह समझना ज़रूरी है कि बाज़ार में अलग-अलग खिलाड़ी कैसे काम करते हैं। FIIs की बिकवाली से घबराने की बजाय, यह देखना चाहिए कि DIIs और retail निवेशक क्या कर रहे हैं। बाज़ार की यह नई संरचना इसे लंबी अवधि में अधिक स्थिर और लचीला बनाती है। अब FIIs अकेले market की दिशा तय नहीं कर सकते; असली ताकत अब घरेलू निवेशकों के हाथ में आ रही है।
यह लेख केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए है और निवेश पर सलाह नहीं है। निवेश से पहले अपना खुद का research अवश्य करें।
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