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Stock Market में Risk Management: अपनी Capital कैसे सुरक्षित रखें?

Stock market में risk को समझना और manage करना long-term success के लिए ज़रूरी है। यह guide आपको अलग-अलग तरह के risks, stop-loss, position sizing और disciplined investing के ज़रिए अपनी capital को सुरक्षित रखने में मदद करेगी।

Stock Market में Risk Management: अपनी Capital कैसे सुरक्षित रखें?

Stock market में पैसा कमाना जितना रोमांचक लगता है, उससे कहीं ज़्यादा ज़रूरी है अपनी मेहनत की कमाई को बचाना। एक सफल investor बनने का राज़ सिर्फ़ सही stock चुनना नहीं, बल्कि risk को सही तरीके से manage करना भी है। बिना risk management के, एक ही गलत trade आपकी सारी capital खत्म कर सकता है।

इस article में, हम Indian stock market के लिए risk management की ज़रूरी techniques को आसान भाषा में समझेंगे।

Key Takeaways

  • Risk को पहचानें: जानें कि Market Risk, Sector Risk और Company-Specific Risk क्या हैं और वे आपके investment को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।
  • नुकसान को Limit करें: Position Sizing और Stop-Loss जैसे tools का इस्तेमाल करके किसी एक trade में होने वाले नुकसान को control करें।
  • Discipline ही सब कुछ है: भावनाओं (डर और लालच) पर काबू पाना और एक investment plan को follow करना long-term success के लिए बहुत ज़रूरी है।

Investment में Risk के प्रकार (Types of Risks in Investing)

मोटे तौर पर, stock market में तीन मुख्य तरह के risk होते हैं:

  1. Market Risk (Systematic Risk): यह वो risk है जो पूरे market को प्रभावित करता है। इसे आप सबसे अच्छे stocks चुनकर भी नहीं टाल सकते। इसके कारण आर्थिक मंदी, ब्याज दरों में बदलाव, राजनीतिक अस्थिरता या COVID-19 जैसी महामारी हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, मार्च 2020 में COVID-19 lockdown की घोषणा के बाद लगभग सभी कंपनियों के share गिर गए थे, चाहे वे कितनी भी मज़बूत क्यों न हों।

  2. Sector-Specific Risk: यह risk किसी खास industry या sector को प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए, अगर सरकार steel पर import duty बढ़ा देती है, तो steel sector की सभी कंपनियों पर négative असर पड़ सकता है। इसी तरह, हाल के दिनों में global मंदी की आशंकाओं के कारण भारतीय IT sector के shares में दबाव देखा गया है।

  3. Company-Specific Risk (Unsystematic Risk): यह risk किसी एक खास company से जुड़ा होता है। इसके कारण company का खराब management, कोई कानूनी विवाद, product का fail होना या धोखाधड़ी हो सकते हैं। Yes Bank संकट या DHFL का पतन इसके क्लासिक उदाहरण हैं, जहाँ company की अंदरूनी समस्याओं के कारण investors को भारी नुकसान हुआ। इस risk को अच्छी research और diversification (अलग-अलग stocks में निवेश) से कम किया जा सकता है।

विभिन्न प्रकार के निवेश जोखिमों को दर्शाने वाला चित्र: Market Risk, Sector Risk, और Company-Specific Risk.

नुकसान को सीमित करने की Techniques

एक बार जब आप risks को समझ जाते हैं, तो अगला कदम उन्हें manage करने के लिए सही tools का इस्तेमाल करना है।

1. Position Sizing: कितना Invest करें?

Position Sizing का मतलब है कि आप अपनी कुल capital का कितना प्रतिशत किसी एक trade में लगाते हैं। यह risk management का सबसे ज़रूरी नियम है। एक आम नियम “1% Rule” है, जिसका मतलब है कि आप किसी एक trade में अपनी कुल trading capital के 1% से ज़्यादा का risk नहीं लेंगे।

Position Size कैसे Calculate करें:

मान लीजिए:

  • आपकी कुल trading capital: ₹1,00,000
  • आप प्रति trade risk लेना चाहते हैं: 1% (यानी ₹1,000)
  • आप XYZ कंपनी का share ₹250 पर खरीदना चाहते हैं।
  • आपका Stop-Loss (नुकसान रोकने का level): ₹240 (प्रति share ₹10 का risk)

फॉर्मूला: Position Size (शेयरों की संख्या) = (कुल Capital * Risk %) / (Entry Price - Stop-Loss Price)

Calculation: शेयरों की संख्या = (₹1,00,000 * 1%) / (₹250 - ₹240) शेयरों की संख्या = ₹1,000 / ₹10 = 100 शेयर

इसका मतलब है कि आपको XYZ कंपनी के सिर्फ़ 100 share खरीदने चाहिए। अगर आपका stop-loss hit हो जाता है, तो आपको केवल ₹1,000 का नुकसान होगा, जो आपकी कुल capital का सिर्फ़ 1% है।

2. Stop-Loss Orders: आपका Automatic Safety Net

Stop-Loss एक automatic order है जो आपके broker को आपके share को एक तय कीमत पर पहुँचने पर बेचने का निर्देश देता है। यह आपको बड़े नुकसान से बचाता है और फ़ैसले लेने की प्रक्रिया से भावनाओं को बाहर रखता है।

ऊपर दिए गए उदाहरण में, अगर आप ₹240 पर stop-loss लगाते हैं, तो जैसे ही share की कीमत ₹240 तक गिरती है, आपका order अपने आप execute हो जाएगा और आप trade से बाहर हो जाएँगे, जिससे आपका नुकसान ₹1,000 तक सीमित हो जाएगा।

एक स्टॉक मूल्य चार्ट जो दिखाता है कि एंट्री प्राइस के नीचे स्टॉप-लॉस ऑर्डर कैसे सेट किया जाता है।

ज़्यादा Leverage से बचें: SEBI के Peak Margin नियम

Leverage या margin trading का मतलब है broker से पैसे उधार लेकर अपनी क्षमता से ज़्यादा का trade करना। यह मुनाफ़े को बढ़ा सकता है, लेकिन यह नुकसान को भी कई गुना बढ़ा सकता है। कई नए traders इसी जाल में फँसकर अपनी capital गँवा देते हैं।

इसी risk को कम करने के लिए, SEBI (Securities and Exchange Board of India) ने Peak Margin नियम लागू किए हैं। इन नियमों के तहत, किसी भी trade (intraday या F&O) को करने के लिए आपको ज़रूरी upfront margin अपने account में रखना होता है। SEBI यह सुनिश्चित करने के लिए दिन के दौरान किसी भी समय आपके position के highest margin (peak margin) को monitor करता है। इसका मकसद यह पक्का करना है कि traders ज़रूरत से ज़्यादा risk न लें और बाज़ार में स्थिरता बनी रहे।

Discipline बनाए रखना: भावनाओं पर Control

Technical tools के अलावा, सबसे बड़ा risk management tool आपका अपना दिमाग है। डर और लालच दो सबसे बड़ी भावनाएँ हैं जो investors से गलतियाँ करवाती हैं।

  • डर (Fear): डर के कारण investor अक्सर गिरते बाज़ार में अच्छी कंपनियों के share भी बेच देते हैं (Panic Selling) या फिर किसी trade में घुसने से डरते हैं।
  • लालच (Greed): लालच के कारण investor बहुत ज़्यादा risk उठाते हैं, बढ़ते हुए stock को बेचते नहीं हैं, और जब बाज़ार पलटता है तो बड़ा नुकसान उठाते हैं।

इन भावनाओं को control करने का सबसे अच्छा तरीका एक Investment Plan बनाना और उस पर टिके रहना है। आपके plan में साफ़ तौर पर लिखा होना चाहिए:

  • आपके financial goals क्या हैं?
  • आप कितना risk ले सकते हैं?
  • आप किन stocks या sectors में invest करेंगे?
  • आपके entry और exit नियम क्या होंगे (जैसे, stop-loss और target)।

जब आपके पास एक plan होता है, तो आप बाज़ार के शोर और अपनी भावनाओं के आधार पर फ़ैसले लेने के बजाय तर्क और strategy के आधार पर काम करते हैं।


यह लेख केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है और इसे निवेश की सलाह नहीं माना जाना चाहिए। किसी भी निवेश से पहले अपनी खुद की research ज़रूर करें।

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Investments in the securities market are subject to market risks, read all the related documents carefully before investing.

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