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Stock Market से कमाई? जानिए Capital Gains और Dividend पर Tax के नए नियम (FY 2024-25)

भारत में stock market निवेशकों के लिए tax नियमों की पूरी गाइड। जानें Short-Term और Long-Term Capital Gains, Dividend Tax और F&O trading पर tax कैसे लगता है, FY 2024-25 के नए बदलावों के साथ।

Stock Market से कमाई? जानिए Capital Gains और Dividend पर Tax के नए नियम (FY 2024-25)

Stock market में invest करना काफी फायदेमंद हो सकता है, लेकिन इससे होने वाली कमाई पर लगने वाले tax को समझना भी उतना ही ज़रूरी है। कई investors, खासकर नए लोग, tax के नियमों को लेकर confusion में रहते हैं। Capital Gains Tax, Dividend पर tax और trading से हुई income पर tax के नियम अलग-अलग हैं।

इस गाइड में, हम भारतीय investors के लिए stock market से जुड़ी tax की सभी ज़रूरी बातों को आसान भाषा में समझाएंगे, जिसमें Financial Year 2024-25 के नए बदलाव भी शामिल हैं।

मुख्य बातें (Key Takeaways)

  • Capital Gains: शेयरों को बेचने पर होने वाले मुनाफे को Capital Gains कहते हैं। यह दो तरह का होता है: Short-Term (STCG) और Long-Term (LTCG)।
  • नए Tax Rates (FY 2024-25): 23 जुलाई 2024 से, STCG पर tax 20% और LTCG पर tax 12.5% (₹1.25 लाख से ऊपर) हो गया है।
  • Dividend Tax: Dividend से मिलने वाला पैसा आपकी कुल आय में जुड़ता है और आपके income tax slab के हिसाब से उस पर tax लगता है।
  • Trading Income: Intraday और F&O trading से होने वाली आय को ‘Business Income’ माना जाता है, Capital Gains नहीं।

Capital Gains Tax: आपके मुनाफे पर कितना Tax लगेगा?

जब आप किसी listed कंपनी के शेयर या equity mutual fund को बेचकर मुनाफा कमाते हैं, तो उसे Capital Gain कहा जाता है। आप किसी शेयर को कितने समय तक अपने पास रखकर बेचते हैं, इसके आधार पर tax की दर तय होती है।

A simple chart showing the split between Short-Term Capital Gains (held less than 12 months) and Long-Term Capital Gains (held greater than 12 months).

1. Short-Term Capital Gains (STCG)

अगर आप किसी शेयर को खरीदने के 12 महीने (1 साल) के अंदर बेच देते हैं, तो उससे होने वाले मुनाफे को Short-Term Capital Gain (STCG) कहा जाता है।

  • Tax Rate: STCG पर आपको 20% की दर से फ्लैट tax देना होता है (यह दर 23 जुलाई 2024 से लागू है, इससे पहले यह 15% थी)। यह आपकी income tax slab पर निर्भर नहीं करता।
  • उदाहरण: मान लीजिए आपने किसी कंपनी के शेयर ₹50,000 में खरीदे और 8 महीने बाद उन्हें ₹70,000 में बेच दिया।
    • आपका STCG = ₹70,000 - ₹50,000 = ₹20,000
    • देय Tax = ₹20,000 का 20% = ₹4,000

2. Long-Term Capital Gains (LTCG)

अगर आप किसी शेयर को खरीदने के 12 महीने (1 साल) बाद बेचते हैं, तो उससे होने वाले मुनाफे को Long-Term Capital Gain (LTCG) कहते हैं।

  • Tax Rate: एक financial year में ₹1.25 लाख तक के LTCG पर कोई tax नहीं लगता है। ₹1.25 लाख से ज़्यादा के मुनाफे पर 12.5% की दर से tax लगता है (यह दर और छूट 23 जुलाई 2024 से लागू है, इससे पहले ₹1 लाख तक छूट थी और tax 10% था)।
  • उदाहरण: मान लीजिए आपने 2 साल पहले ₹1,00,000 के शेयर खरीदे थे और आज उन्हें ₹2,50,000 में बेच दिया।
    • आपका कुल LTCG = ₹2,50,000 - ₹1,00,000 = ₹1,50,000
    • Tax-free सीमा = ₹1,25,000
    • Taxable LTCG = ₹1,50,000 - ₹1,25,000 = ₹25,000
    • देय Tax = ₹25,000 का 12.5% = ₹3,125

Dividend पर लगने वाला Tax

पहले कंपनियां investors को Dividend देने से पहले Dividend Distribution Tax (DDT) काट लेती थीं, और investors के हाथ में आया पैसा tax-free होता था। लेकिन 1 अप्रैल, 2020 से यह नियम बदल गया है।

अब DDT को खत्म कर दिया गया है। कंपनियों से मिलने वाला Dividend अब सीधे investor की कुल आय में जोड़ा जाता है और investor जिस income tax slab में आता है, उसी दर से उस पर tax लगता है।

  • TDS: अगर किसी एक कंपनी से आपको एक financial year में ₹5,000 से ज़्यादा का Dividend मिलता है, तो कंपनी 10% TDS (Tax Deducted at Source) काटकर ही आपको payment करेगी। आप इस TDS को अपना ITR फाइल करते समय क्लेम कर सकते हैं।

An infographic explaining that Dividend Distribution Tax (DDT) is gone, and now dividend is taxed at the investor's slab rate.

ट्रेडिंग पर Tax: जब यह ‘Business Income’ बन जाती है

बहुत से लोग Intraday और Futures & Options (F&O) में trading करते हैं। Tax के नज़रिए से, इसे investment नहीं बल्कि एक ‘Business’ माना जाता है।

1. Intraday Trading

जब आप एक ही दिन में शेयर खरीदकर बेच देते हैं, तो इसे Intraday Trading कहते हैं। इससे होने वाली आय को Speculative Business Income माना जाता है।

  • इस आय को आपकी कुल आय (जैसे salary, अन्य business से आय) में जोड़ा जाता है और आपके tax slab के अनुसार tax लगता है।
  • Intraday में हुए loss को आप सिर्फ किसी दूसरे Speculative Business Income के मुनाफे से ही adjust (set-off) कर सकते हैं। इस loss को आप 4 साल तक आगे ले जा (carry forward) सकते हैं।

2. Futures & Options (F&O) Trading

F&O trading से होने वाली आय को Non-Speculative Business Income माना जाता है।

  • इस आय पर भी आपके tax slab के हिसाब से ही tax लगता है।
  • F&O में हुए loss को आप किसी भी दूसरी आय (salary को छोड़कर) जैसे किराये से आय, ब्याज से आय या Capital Gains के खिलाफ adjust कर सकते हैं। इस loss को आप 8 साल तक carry forward कर सकते हैं।

रिकॉर्ड रखना और ITR फाइलिंग

Tax नियमों का सही से पालन करने के लिए अपने सभी trades और investments का रिकॉर्ड रखना बहुत ज़रूरी है।

  • रिकॉर्ड रखें: अपने broker से साल के अंत में Capital Gains Statement और P&L Statement ज़रूर लें। इसमें आपके सभी transactions का ब्यौरा होता है।
  • Form 26AS और AIS: अपना ITR भरने से पहले Form 26AS और Annual Information Statement (AIS) ज़रूर जांच लें। इसमें आपके द्वारा चुकाए गए tax (जैसे TDS) और आपकी सभी financial transactions की जानकारी होती है।
  • सही ITR Form: अगर आपकी सिर्फ Capital Gains से आय है, तो आप ITR-2 का उपयोग कर सकते हैं। लेकिन अगर आपकी Intraday या F&O से Business Income है, तो आपको ITR-3 फाइल करना होगा।

सही जानकारी और planning के साथ आप न केवल अपनी tax liability को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं, बल्कि tax नियमों का पालन भी आसानी से कर सकते हैं। अगर आपको कोई confusion है, तो किसी tax expert से सलाह लेना हमेशा एक अच्छा कदम होता है।

यह लेख केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए है और निवेश पर सलाह नहीं है। निवेश से पहले अपना स्वयं का शोध अवश्य करें।

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