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ट्रंप के टैरिफ और FPI की बिकवाली से बाजार धड़ाम, Sensex 800 अंक से ज्यादा टूटा

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय फार्मा उत्पादों पर 100% टैरिफ लगाने और विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली के कारण भारतीय शेयर बाजार में आज भारी गिरावट देखी गई। Sensex और Nifty लगातार छठे दिन लाल निशान में बंद हुए।

ट्रंप के टैरिफ और FPI की बिकवाली से बाजार धड़ाम, Sensex 800 अंक से ज्यादा टूटा

भारतीय शेयर बाजार के लिए आज का दिन बेहद निराशाजनक रहा। बिकवाली के भारी दबाव के चलते प्रमुख indices में बड़ी गिरावट दर्ज की गई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारतीय फार्मा products पर भारी टैरिफ लगाने की घोषणा और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) की लगातार बिकवाली ने बाजार का मूड पूरी तरह से बिगाड़ दिया।

बाजार का हाल: Sensex और Nifty में भारी गिरावट

आज कारोबार के अंत में, BSE Sensex 800 अंक से ज्यादा (लगभग 1%) गिरकर 80,360 के स्तर पर आ गया। वहीं, NSE Nifty 50 भी 252 अंक (1.01%) टूटकर 24,638.40 पर बंद हुआ। यह लगातार छठा कारोबारी सत्र था जब बाजार लाल निशान में बंद हुआ। इस भारी बिकवाली के कारण BSE पर लिस्टेड कंपनियों का market capitalization घटकर ₹450.85 लाख करोड़ रह गया, जिससे निवेशकों को एक ही दिन में बड़ा नुकसान हुआ।

गिरावट दर्शाता हुआ एक ग्राफिकल चार्ट

गिरावट के पीछे के 5 बड़े कारण

बाजार में इस बिकवाली के पीछे कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कारण जिम्मेदार थे, लेकिन दो प्रमुख वजहें हावी रहीं:

1. ट्रंप का नया टैरिफ बम: गुरुवार को, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से import होने वाले कई उत्पादों पर नए टैरिफ की घोषणा की, जो 1 अक्टूबर से लागू होंगे। इसके तहत “branded or patented” दवाओं पर 100% टैरिफ लगाया गया है। इसके अलावा, भारी ट्रकों पर 25% और फर्नीचर जैसे उत्पादों पर भी 30-50% तक का शुल्क लगाया गया है।

अमेरिका भारतीय दवा export का एक बड़ा बाजार है, जो कुल फार्मा एक्सपोर्ट का लगभग एक-तिहाई हिस्सा है। इस खबर से pharma sector में हड़कंप मच गया। Nifty Pharma index 2% से अधिक टूट गया, और Sun Pharma जैसे प्रमुख शेयरों में 5% तक की गिरावट देखी गई।

2. FPI की लगातार बिकवाली: विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से लगातार अपना पैसा निकाल रहे हैं। सितंबर महीने में अब तक FPIs ने ₹7,945 करोड़ के शेयर बेचे हैं। अगर पूरे साल 2025 की बात करें, तो यह आंकड़ा ₹1.4 लाख करोड़ के करीब पहुंच गया है। FPIs की इस भारी बिकवाली ने बाजार पर अतिरिक्त दबाव बनाया है। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि जब तक यह बिकवाली नहीं रुकती, बाजार में दबाव बना रह सकता है।

3. H-1B वीजा की चिंताएं: पिछले हफ्ते H-1B वीजा शुल्क में बढ़ोतरी की खबर के बाद से ही IT stocks दबाव में थे। भारत के IT sector का एक बड़ा हिस्सा अमेरिकी बाजार पर निर्भर है, और वीजा नियमों में किसी भी तरह की सख्ती का सीधा असर इन कंपनियों पर पड़ता है। आज TCS का शेयर अपने 52-हफ्ते के निचले स्तर ₹2,912 पर आ गया।

4. अमेरिकी फेडरल रिजर्व का रुख: अमेरिका में आए मजबूत आर्थिक आंकड़ों ने इस उम्मीद को कम कर दिया है कि फेडरल रिजर्व आगे ब्याज दरों में कटौती करेगा। इससे वैश्विक बाजारों में थोड़ी घबराहट है, जिसका असर भारत पर भी पड़ा।

5. तिमाही नतीजों से पहले अनिश्चितता: निवेशक सितंबर तिमाही के नतीजों का इंतजार कर रहे हैं। बाजार को आशंका है कि इस तिमाही में कंपनियों की earnings में कोई खास सुधार देखने को नहीं मिलेगा, जिसके चलते वे सतर्क रुख अपना रहे हैं।

विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) की बिकवाली का चित्रण

रिटेल निवेशकों के लिए इसका क्या मतलब है?

बाजार में इस तरह की बड़ी गिरावट अक्सर retail निवेशकों को डरा देती है। हालांकि, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि बाजार हमेशा सीधा ऊपर नहीं जाता। इस तरह के उतार-चढ़ाव बाजार का स्वभाव हैं।

  • घबराकर न बेचें: अगर आपने अच्छी क्वालिटी वाले शेयरों में लंबी अवधि के लिए निवेश किया है, तो सिर्फ बाजार की गिरावट देखकर उन्हें बेचने की जल्दबाजी न करें।
  • SIP जारी रखें: Systematic Investment Plan (SIP) के जरिए निवेश करने वालों के लिए गिरावट एक अवसर हो सकती है। वे उसी पैसे में ज्यादा यूनिट्स खरीद सकते हैं।
  • सतर्क रहें: फार्मा और IT जैसे सेक्टर, जो सीधे तौर पर अमेरिकी नीतियों से प्रभावित होते हैं, उनमें कुछ समय तक अस्थिरता रह सकती है।

आगे क्या हो सकता है?

  • अमेरिकी टैरिफ पर स्पष्टता: क्या ये टैरिफ जेनेरिक दवाओं पर भी लागू होंगे, इस पर अभी अनिश्चितता है। ICICI Securities के अनुसार, अगर complex generics और biosimilars भी इसके दायरे में आते हैं, तो असर और गहरा हो सकता है।
  • FPI का रुख: विदेशी निवेशकों का प्रवाह बाजार की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
  • Nifty के Technical Levels: एक्सपर्ट्स के मुताबिक, Nifty के लिए 24,700-24,600 एक महत्वपूर्ण सपोर्ट लेवल है। अगर Nifty इससे नीचे जाता है, तो और गिरावट देखी जा सकती है।

कुल मिलाकर, बाजार में अभी कुछ समय तक अनिश्चितता का माहौल बना रह सकता है। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे सावधानी बरतें और कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले पूरी रिसर्च करें।


यह लेख केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए है और निवेश पर सलाह नहीं है। निवेश से पहले अपना स्वयं का शोध अवश्य करें।

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