US टैरिफ का डर: गिरावट के बाद भारतीय बाज़ार की शानदार Recovery
अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा भारतीय सामानों पर टैरिफ को दोगुना कर 50% करने की घोषणा के बाद भारतीय शेयर बाज़ार में भारी गिरावट आई, लेकिन दिन के अंत तक बाज़ार ने शानदार recovery की।

गुरुवार, 7 अगस्त 2025, को भारतीय शेयर बाज़ार ने एक हैरान करने वाला U-turn लिया। अमेरिकी राष्ट्रपति की तरफ से भारतीय सामानों पर टैरिफ 50% तक बढ़ाने की घोषणा के बाद सुबह जो घबराहट दिखी, वह शाम तक आत्मविश्वास में बदल गई।
US का नया टैरिफ: बाज़ार क्यों गिरा?
बुधवार देर रात, अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक executive order पर साइन किया, जिसमें भारतीय imports पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगा दिया गया। यह पहले से लागू 25% टैरिफ के ऊपर था, जिससे कुल टैरिफ 50% हो गया। अमेरिका ने इस फैसले का कारण भारत का रूस से तेल आयात जारी रखना बताया है।
यह खबर भारतीय market के लिए एक बड़े झटके की तरह आई। गुरुवार को बाज़ार खुलते ही भारी selling pressure देखा गया। BSE Sensex 335.71 अंक गिरकर 80,208.28 पर और NSE Nifty 114.15 अंक फिसलकर 24,460.05 पर खुला। दिन के दौरान, गिरावट और बढ़ी और Nifty ने 24,344.15 का निचला स्तर भी छुआ। ऐसा लगा कि market एक बड़ी गिरावट की ओर बढ़ रहा है।
गिरावट से शानदार वापसी: बाज़ार ने कैसे बदला मूड?
हालांकि, दोपहर के बाद market का मूड बदलने लगा। Investors ने निचले स्तरों पर खरीदारी शुरू कर दी, खासकर IT और Pharma जैसे defensive sectors में। इस खरीदारी के दम पर बाज़ार ने न केवल अपनी सारी शुरुआती गिरावट की भरपाई की, बल्कि मामूली बढ़त के साथ बंद होने में भी कामयाब रहा।
दिन का कारोबार खत्म होने पर, Sensex 79.27 अंक (0.10%) की बढ़त के साथ 80,623.26 पर बंद हुआ। इसने अपने दिन के निचले स्तर से 900 से ज़्यादा अंकों की शानदार recovery की। इसी तरह, Nifty 50 भी 21.95 अंक (0.09%) चढ़कर 24,596.15 पर बंद हुआ।
इस recovery ने कई market experts को भी हैरान कर दिया। यह दिखाता है कि भारतीय बाज़ार बाहरी झटकों के बावजूद अपनी मज़बूती बनाए हुए है। कुछ analysts का मानना है कि निवेशकों को शायद यह उम्मीद है कि भारत और अमेरिका के बीच बातचीत से इस मुद्दे का कोई हल निकल आएगा।
सरकार और Experts का क्या है कहना?
भारत सरकार ने अमेरिका के इस कदम को “अनुचित और एकतरफा” बताया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत अपने किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों के हितों से समझौता नहीं करेगा और इसके लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार है।
Market experts का मानना है कि इस टैरिफ वृद्धि का सबसे ज़्यादा असर textiles, leather, gems and jewelry, और marine products जैसे export-oriented sectors पर पड़ेगा। इन sectors की कंपनियों के stocks पर आने वाले दिनों में दबाव देखने को मिल सकता है।
Retail Investors के लिए 3 ज़रूरी सबक
यह घटना retail investors के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है।
- बाज़ार में उतार-चढ़ाव आम है: Geopolitical तनावों के कारण बाज़ार में अचानक बड़ी गिरावट आ सकती है। ऐसे समय में घबराकर अपने investments बेचने से बचना चाहिए।
- Portfolio Diversification ज़रूरी है: इस घटना ने एक बार फिर portfolio diversification के महत्व को बताया है। जिन निवेशकों का पैसा अलग-अलग sectors में लगा था, उन पर इस खबर का असर कम हुआ होगा।
- Fundamentals पर Focus करें: लंबी अवधि के निवेशकों को किसी एक खबर से ज़्यादा परेशान नहीं होना चाहिए। उन्हें अच्छी कंपनियों के fundamentals पर ध्यान देना चाहिए।
आगे क्या हो सकता है? इन बातों पर रखें नज़र
- टैरिफ की डेडलाइन: नया अतिरिक्त टैरिफ 27 अगस्त से लागू होना है। इस तारीख से पहले दोनों देशों के बीच किसी भी बातचीत पर बाज़ार की नज़र रहेगी।
- प्रभावित Sectors पर नज़र: Textiles, leather और दूसरे प्रभावित sectors के stocks पर दबाव बना रह सकता है। इन पर बारीकी से नज़र रखें।
- FII/DII का रुख: विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने हाल के दिनों में बिकवाली की है। उनका रुख बाज़ार की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएगा।
यह पूरा घटनाक्रम दिखाता है कि शेयर बाज़ार कितना अप्रत्याशित हो सकता है। एक ही दिन में भारी गिरावट और फिर शानदार वापसी, यह बाज़ार के लचीलेपन और निवेशकों के बदलते sentiment का प्रतीक है।
यह लेख केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए है और निवेश पर सलाह नहीं है। निवेश से पहले अपनी रिसर्च ज़रूर करें।
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