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अमेरिकी टैरिफ का झटका: भारतीय बाजार में उथल-पुथल, अब निवेशकों को क्या करना चाहिए?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारतीय सामानों पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा से भारतीय शेयर बाजार में हड़कंप मच गया। Sensex और Nifty में भारी गिरावट के बाद थोड़ी रिकवरी हुई, लेकिन निवेशकों के मन में अनिश्चितता बनी हुई है।

अमेरिकी टैरिफ का झटका: भारतीय बाजार में उथल-पुथल, अब निवेशकों को क्या करना चाहिए?

31 जुलाई 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के एक ऐलान ने भारतीय शेयर बाजार में भूचाल ला दिया। भारत से आने वाले ज्यादातर सामानों पर 1 अगस्त से 25% का भारी-भरकम टैरिफ लगाने की खबर से निवेशकों में हड़कंप मच गया और बाजार में भारी बिकवाली देखी गई।

बाजार में क्या हुआ और यह क्यों अहम है?

गुरुवार, 31 जुलाई 2025 को भारतीय शेयर बाजार एक बड़े झटके के साथ खुला। इसका कारण था अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की यह घोषणा कि भारतीय आयातों पर 25% टैरिफ लगाया जाएगा। इसके साथ ही, रूस से तेल और रक्षा उपकरण खरीदने पर भारत पर एक “अतिरिक्त penalty” लगाने की भी धमकी दी गई। इस दोहरी मार की खबर आते ही बाजार में बिकवाली का भारी दबाव देखने को मिला।

बाजार खुलते ही BSE Sensex लगभग 800 अंक गिरकर 80,695.15 के इंट्रा-डे लो पर पहुंच गया, जबकि NSE Nifty 50 भी लगभग 1% टूटकर 24,635 के स्तर तक लुढ़क गया। इस शुरुआती गिरावट से निवेशकों की संपत्ति में भारी कमी आई।

हालांकि, दिन के कारोबार के दौरान बाजार ने कुछ रिकवरी दिखाई, लेकिन यह शुरुआती नुकसान की भरपाई करने के लिए काफी नहीं थी। दिन का कारोबार खत्म होने पर, Sensex 296.28 अंक (0.36%) गिरकर 81,185.58 पर और Nifty 86.70 अंक (0.35%) गिरकर 24,768.35 पर बंद हुआ।

Sensex और Nifty में दिन के दौरान भारी गिरावट और आंशिक रिकवरी का ग्राफ।

इस बड़ी गिरावट के पीछे क्या कारण हैं?

इस बिकवाली का मुख्य कारण अमेरिका द्वारा लगाया गया टैरिफ ही है। Analysts का मानना है कि यह भारत की export-driven इकोनॉमी के लिए एक बड़ा झटका है।

  • निर्यात पर सीधा असर: 25% का टैरिफ भारतीय प्रोडक्ट्स को अमेरिकी बाजार में महंगा बना देगा, जिससे उनकी मांग घट सकती है। इसका सीधा असर भारत के निर्यात और GDP ग्रोथ पर पड़ सकता है।
  • रूस के साथ व्यापार पर Penalty: रूस से तेल और रक्षा सौदों पर penalty की धमकी ने अनिश्चितता को और बढ़ा दिया है। भारत सस्ते रूसी तेल का एक बड़ा खरीदार रहा है, और इस पर किसी भी तरह का प्रतिबंध तेल कंपनियों और पूरी अर्थव्यवस्था के लिए निगेटिव हो सकता है।
  • विदेशी निवेशकों की बिकवाली (FII Outflow): इस तरह की geopolitical अनिश्चितता विदेशी निवेशकों को जोखिम भरे बाजारों से पैसा निकालने के लिए मजबूर करती है। Foreign Institutional Investors (FIIs) पहले से ही जुलाई में भारतीय बाजारों में बिकवाली कर रहे थे, और इस खबर ने इस ट्रेंड को और तेज कर दिया।
  • रुपये में गिरावट: इस खबर के बाद भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया, हालांकि बाद में RBI के संभावित हस्तक्षेप से इसमें कुछ सुधार हुआ।

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट, डॉ. वी.के. विजयकुमार ने कहा, “भारत पर 25% टैरिफ और रूस से ऊर्जा और रक्षा-संबंधी खरीद के लिए एक अनिर्दिष्ट जुर्माना, भारतीय निर्यात और शॉर्ट-टर्म में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास संभावनाओं के लिए बहुत बुरी खबर है।“

कौन से Sectors सबसे ज्यादा प्रभावित हुए?

यह टैरिफ उन सेक्टर्स के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है जिनका अमेरिका को बड़ा निर्यात है।

अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित होने वाले मुख्य भारतीय सेक्टर्स।

  1. Textiles and Apparels: Welspun Living, Vardhman Textiles और Arvind Ltd जैसे stocks में गिरावट देखी गई, क्योंकि यह सेक्टर अमेरिकी निर्यात पर बहुत अधिक निर्भर है।
  2. Auto Ancillaries: भारत से बड़ी मात्रा में auto parts अमेरिका को निर्यात किए जाते हैं। इस सेक्टर के stocks पर भी दबाव देखा गया।
  3. Pharma and Chemicals: हालांकि कुछ दवाओं को छूट मिल सकती है, लेकिन फार्मा और केमिकल सेक्टर का एक बड़ा हिस्सा अमेरिकी बाजार पर निर्भर है। Navin Fluorine और PI Industries जैसे stocks में गिरावट आई।
  4. Oil Marketing Companies (OMCs): रूस से तेल खरीदने पर penalty की आशंका से Reliance Industries, BPCL, और HPCL जैसे stocks पर दबाव बना।
  5. IT Sector: हालांकि IT सेवाओं पर सीधा टैरिफ नहीं है, लेकिन रुपये में गिरावट इस सेक्टर के लिए पॉजिटिव हो सकती है। फिर भी, ओवरऑल इकोनॉमिक माहौल की चिंता के कारण TCS और Infosys जैसे शेयरों में भी गिरावट आई।

Retail निवेशकों के लिए इसका क्या मतलब है?

बाजार में इस तरह की बड़ी गिरावट देखकर घबराना स्वाभाविक है, लेकिन retail निवेशकों को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  • घबराहट में बिकवाली न करें: बाजार अक्सर geopolitical घटनाओं पर तुरंत और तेजी से प्रतिक्रिया करता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह टैरिफ बातचीत की एक रणनीति हो सकती है और अंततः इसमें कुछ कमी आ सकती है। इसलिए, अपने अच्छे निवेश को डर में आकर न बेचें।
  • Portfolio की समीक्षा करें: अपने पोर्टफोलियो को देखें। क्या आपके पास ऐसी कंपनियों में बहुत ज्यादा निवेश है जो अमेरिकी निर्यात पर बहुत अधिक निर्भर हैं? अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाना (diversification) महत्वपूर्ण है।
  • Domestic Consumption पर ध्यान दें: ऐसी कंपनियां जो मुख्य रूप से भारतीय घरेलू बाजार पर निर्भर हैं, उन पर इस टैरिफ का सीधा असर कम होगा। FMCG, चुनिंदा बैंक और इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियां इस कैटेगरी में आ सकती हैं।
  • SIP जारी रखें: यदि आप Systematic Investment Plan (SIP) के माध्यम से निवेश कर रहे हैं, तो इसे जारी रखें। बाजार में गिरावट आपको कम कीमत पर ज्यादा यूनिट्स खरीदने का मौका देती है, जो लंबी अवधि में फायदेमंद होता है।

आगे क्या हो सकता है?

  • Trade Negotiations: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता पर कड़ी नजर रखें। उम्मीद है कि अगस्त के मध्य में बातचीत फिर से शुरू हो सकती है, जिससे टैरिफ पर कुछ स्पष्टता आ सकती है।
  • Nifty के Technical Levels: बाजार के लिए Nifty का 24,600 का स्तर एक महत्वपूर्ण सपोर्ट है। यदि बाजार इससे नीचे जाता है, तो और गिरावट देखी जा सकती है। ऊपर की ओर, 25,000-25,050 एक बड़ा रेजिस्टेंस बना हुआ है।
  • FII/FPI का Flow: विदेशी संस्थागत निवेशकों की गतिविधियों पर नजर रखना महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि उनकी लगातार बिकवाली बाजार पर दबाव बनाए रख सकती है।
  • आधिकारिक घोषणाएं: टैरिफ के दायरे और penalty के विवरण पर दोनों सरकारों की ओर से आने वाली आधिकारिक घोषणाओं का इंतजार करें।

कुल मिलाकर, बाजार में शॉर्ट-टर्म में अनिश्चितता और उतार-चढ़ाव बना रह सकता है। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे शांति बनाए रखें, अपने financial advisor से सलाह लें और कोई भी निवेश का फैसला लेने से पहले अपनी खुद की research करें।


यह लेख केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए है और निवेश पर सलाह नहीं है। निवेश से पहले अपना स्वयं का शोध अवश्य करें।

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