अमेरिकी टैरिफ की मार से भारतीय बाज़ार में हाहाकार: निवेशकों को अब क्या करना चाहिए?
अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा भारतीय सामानों पर टैरिफ दोगुना करने की घोषणा के बाद भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट आई। सेंसेक्स 700 से अधिक अंक टूट गया और निफ्टी 24,400 के नीचे फिसल गया। जानिए इस गिरावट का कारण और आगे की रणनीति।

अमेरिकी राष्ट्रपति के एक फैसले ने भारतीय शेयर बाजार में भूचाल ला दिया है, जिससे निवेशकों के बीच चिंता का माहौल है। शुक्रवार, 8 अगस्त 2025 को, बाजार खुलते ही बिकवाली का भारी दबाव देखा गया और दिन के अंत तक प्रमुख सूचकांक गहरे लाल निशान में बंद हुए।
शुक्रवार को बाजार बंद होने पर, BSE Sensex 765.47 अंक (0.95%) गिरकर 79,857.79 पर बंद हुआ, जबकि NSE Nifty50 232.85 अंक (0.95%) की गिरावट के साथ 24,363.30 पर आ गया। यह गिरावट निवेशकों के लिए एक बड़ा झटका है, खासकर उन लोगों के लिए जो बाजार में हालिया तेजी का आनंद ले रहे थे। दिन के कारोबार के दौरान, Nifty एक समय 24,400 के महत्वपूर्ण स्तर से भी नीचे फिसल गया था।
गिरावट का बड़ा कारण: अमेरिकी टैरिफ
इस भारी गिरावट की मुख्य वजह अमेरिका द्वारा भारतीय सामानों पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसमें कुछ भारतीय निर्यातों पर 25% का अतिरिक्त टैरिफ लगाया गया है। यह पहले से मौजूद 25% टैरिफ के ऊपर है, जिससे कुल टैरिफ बढ़कर 50% हो गया है।
अमेरिका ने इस कदम का कारण भारत द्वारा रूस से लगातार तेल खरीदना बताया है। यह टैरिफ वृद्धि 27 अगस्त से पूरी तरह लागू हो जाएगी, जिससे कपड़ा, चमड़ा, रत्न और आभूषण जैसे प्रमुख भारतीय निर्यात क्षेत्रों पर महत्वपूर्ण दबाव पड़ने की आशंका है।
बाजार पर तत्काल प्रभाव
इस खबर ने दलाल स्ट्रीट पर घबराहट पैदा कर दी। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने लगभग ₹5,000 करोड़ की बिकवाली की, जो बाजार पर उनके घटते विश्वास को दर्शाता है। हालांकि, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने खरीदारी जारी रखी, लेकिन वे बाजार को गिरने से नहीं रोक सके।
लगभग सभी सेक्टोरल इंडेक्स लाल निशान में बंद हुए। Nifty Realty, Metal, Auto, और IT सेक्टर में सबसे ज्यादा गिरावट देखी गई। Bharti Airtel, Adani Enterprises, और Tata Motors जैसे बड़े शेयरों में 3% तक की गिरावट दर्ज की गई।
निवेशकों के लिए इसका क्या मतलब है?
यह घटना वैश्विक अनिश्चितताओं के प्रति भारतीय बाजार की संवेदनशीलता को उजागर करती है। जब भी इस तरह की कोई बड़ी अंतरराष्ट्रीय घटना होती है, तो विदेशी निवेशक अक्सर उभरते बाजारों से पैसा निकालते हैं, जिससे अस्थिरता बढ़ती है।
Retail निवेशकों के लिए, ऐसी गिरावट डरावनी हो सकती है। हालांकि, विशेषज्ञों का सुझाव है कि घबराहट में आकर अपने निवेश को बेचने से बचना चाहिए। बाजार में इस तरह के उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। यह समय अपने portfolio की समीक्षा करने और मजबूत फंडामेंटल वाली कंपनियों में धीरे-धीरे निवेश करने का अवसर हो सकता है।
आगे क्या देखें?
- आगामी Q1 परिणाम: State Bank of India (SBI) और Tata Motors जैसी बड़ी कंपनियों के तिमाही नतीजे बाजार को दिशा दे सकते हैं।
- टैरिफ पर बातचीत: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता पर नजर रखें। किसी भी सकारात्मक विकास से बाजार की धारणा में सुधार हो सकता है।
- Nifty के स्तर: तकनीकी विश्लेषकों के अनुसार, Nifty के लिए 24,200-24,350 एक महत्वपूर्ण support zone है। यदि बाजार इस स्तर से ऊपर बना रहता है, तो एक रिकवरी की उम्मीद की जा सकती है।
- FII/DII आंकड़े: विदेशी और घरेलू निवेशकों के प्रवाह पर नजर रखना महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि यह बाजार की दिशा का एक प्रमुख संकेतक है।
संक्षेप में, अमेरिकी टैरिफ ने बाजार में एक अल्पकालिक तूफान खड़ा कर दिया है। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे शांत रहें, अपने वित्तीय लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करें और किसी भी निवेश निर्णय से पहले गहन शोध करें।
यह लेख केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए है और निवेश पर सलाह नहीं है। निवेश से पहले अपना स्वयं का शोध अवश्य करें।
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Investments in the securities market are subject to market risks, read all the related documents carefully before investing.
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